बिहार: गो’ली पर गो’ली दाग रहे शू’टर लेकिन 24 घंटे से बेहोश नहीं हो रहा आदमखो’र बाघ, ड्रोन से निगरानी, ऑपरेशन जारी
बगहा के आसपास के गांवों में पिछले 9 महीने से आदमखोर बाघ की दहशत है। 9 महीने में 6 लोगों को शिकार बना चुका है। इनमें से 5 की मौत भी हो चुकी है। बुधवार को इस आदमखोर को पकड़ने के लिए वन विभाग ने पूरी फौज मैदान में उतार दी। 60 फॉरेस्ट गार्ड, 5 वैन, 4 बड़े जाल, 2 ट्रेंकुलाइज गन, 2 ट्रैक्टर, 40 सीसीटीवी और एक ड्रोन की मदद ली गई।
टीम बाघ के करीब भी पहुंच गई। फॉरेस्ट गार्ड ने उसे ट्रेंकुलाइज गन से शूट भी कर दिया। लेकिन वो वहां से भाग निकला। टीम भी उसका पीछा करने लगी। ताकि वो जैसे ही बेहोश हो उसका रेस्क्यू किया जा सके। टीम जंगल में बाघ को 40 मिनट तक ढूंढती रही, लेकिन वो नहीं मिला। 5 मिनट के बाद बाघ को होश आने वाला था। फॉरेस्ट अधिकारियों ने आवाज लगाई कि ट्रेंकुलाइज गन से सिर्फ 45 मिनट तक बेहोश रहता है। भागो वो कभी भी होश में आ जाएगा।
बाघ को पकड़ने उतरी वन विभाग की पूरी टीम
वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व (VTR) के हर्नाटांड़ वन क्षेत्र में इस टाइगर को पकड़ने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। बाघ की उम्र 14-15 साल बताई जा रही है। वन विभाग के 5 वन क्षेत्र के लगभग 60 वनपाल, वनरक्षी और टीटी–पीपी के साथ ही तीनों थानों की पुलिस बल, एसटीएफ की जवान की तैनाती की गई है।
5 मिनट में होश में आ जाता बाघ, भागी टीम
बाघ को रेस्क्यू करने में लगे टीम को बुधवार की शाम सफलता मिलते-मिलते रह गई। वन विभाग अपने सभी संसाधनों के साथ जंगल के अंदर घुसकर बाघ पर ट्रेंकुलाइजर गन से सटीक निशाना लगा दिया। इंजेक्शन पर बाघ के बाल भी नजर आए लेकिन आदमखोर का कहीं पता नहीं चला। वन विभाग की टीम 40 मिनट तक बाघ को ढूंढती रही। जैसे ही 40 मिनट पूरा हुआ टीम के लोग वहां से भाग खड़े हुए, क्योंकि 45 मिनट में बाघ अपने होश में आ जाता।
गुरुवार की सुबह बाघ फिर जंगल से निकलकर वन कर्मियों और लोगों के भीड़ के सामने फील्ड में टहलते नजर आया। जब तक वन विभाग के लोग बाघ को पकड़ने की तैयारी करते तब तक फिर से निकलकर जंगल में चला गया।
टाइगर और टीम के बीच 10 दिनों से चल रही आंखमिचौली
इस टाइगर ने पिछले 10 दिनों में दो लोगों को अपना शिकार बनाया है। 12 सितंबर को बैरिया कला निवासी गुलबंदी देवी को बाघ ने शिकार बनाया। जिसके बाद टाइगर के हर एक्टिविटी पर नजर रखी जाने लगी। वन विभाग के 25 – 25 वन कर्मी टीम बनाकर तीन शिफ्ट में बाघ की निगरानी का काम शुरू किया गया। इसके लिए 40 कैमरे भी लगाए गए।