बिहार में खतरनाक लंपी वायरस की एंट्री…2 मवेशियों की मौत:1258 पशु संक्रमित, टीकाकरण शुरू
लंपी स्किन वायरस ने बिहार में दस्तक दे दी है। गाय और भैंस में काटने वाली मक्खी, मच्छर और टिक्स (परजीवी) से फैलने वाले लंपी स्किन डिजीज से दो पशुओं की मौत हो गई है। पटना सहित 10 जिलों के कई सैकड़ों गांवों में 1258 पशुओं में इस बीमारी की पुष्टि हुई है। इस बीमारी से प्रभावित दुधारू पशुओं से इसके दूध में वायरस नहीं आता है, लेकिन दूध उत्पादन कम हो जाता है।
इस बीमारी का मनुष्य पर प्रभाव नहीं पड़ता है। बुधवार को पशु व मत्स्य संसाधन विभाग के सचिव डॉ. एन. सरवण कुमार ने बताया कि इस बीमारी से बचाव के लिए 9 जनवरी से पशुओं नि:शुल्क टीकाकरण शुरू कर दिया गया है। स्थिति नियंत्रण में है।
पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान पटना क्षेत्रीय निदेशक एवं जिला स्तर पर रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया गया है। पूरे राज्य में 1.38 करोड़ गाय में लंपी रोग की रोकथाम को वैक्सीनेशन कराया जा रहा है। 28 जिला में इसकी शुरुआत चुकी है और 40 हजार 100 पशुओं को टीका लगाया जा चुका है। बिहार में गाय में ही यह रोग अभी तक पाया गया है। राज्य के सभी पशु चिकित्सकों को रोग के संबंध में प्रशिक्षण कराया गया है।
क्या है लंपी त्वचा रोग?
लंपी त्वचा रोग गायों-भैंसों जैसे मवेशियों में कैप्रिपॉक्स नाम के वायरस से फैलने वाली बीमारी है। ये बहुत तेजी से एक पशु से दूसरे पशु में फैलती है। यह वायरस बकरियों में होने वाले गोट पॉक्स और भेड़ों में होने वाले शीप पॉक्स जैसी वायरल इंफेक्शन के लिए जिम्मेदार वायरस जैसा ही है। कैप्रिपॉक्स उसी पॉक्सविरिडे वायरस फैमिली से आता है, जिससे स्मॉलपॉक्स यानी चेचक और मंकीपॉक्स जैसी बीमारियां होती हैं। इस रोग के कारण मवेशियों को बुखार और शरीर में गांठें पड़ जाती हैं।
देश में लंपी वायरस से 57 हजार मौतें
लंपी वायरस से देश में अब तक 57 हजार मवेशियों की मौत हो चुकी है। इनमें सबसे ज्यादा करीब 37 हजार मौतें राजस्थान में हुई हैं। यह बीमारी अब तक राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरयाणा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और दिल्ली में फैल चुकी है। इसके लिए केंद्र सरकार पशुओं को गोट पॉक्स वैक्सीन लगवा रही है।