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अडानी विवाद में सेबी की जांच शुरू, कुछ निवेशकों के साथ रिश्तों की होगी पड़ताल

देश के मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने अडानी ग्रुप से जुड़े विवाद में जांच शुरू कर दी है. रॉयटर्स के मुताबिक सेबी की यह पड़ताल अडानी एंटरप्राइजेज के कुछ दिनों पहले रद्द किए जा चुके एफपीओ (FPO) के दो एंकर इनवेस्टर्स से जुड़ी है. मार्केट रेगुलेटर इस बात की छानबीन करेगा कि एफपीओ के दो एंकर इनवेस्टर – ग्रेट इंटरनेशनल टस्कर फंड और आयुष्मत लिमिटेड के अडानी ग्रुप के संस्थापकों से क्या रिश्ते हैं? ये दोनों ही एंकर इनवेस्टर मॉरीशस में बेस्ड हैं. अडानी एंटरप्राइजेज का 20 हजार करोड़ रुपये का एफपीओ जनवरी के अंतिम सप्ताह में खुला था, जिसे पूरी तरह सब्सक्राइब होने के बावजूद वापस ले लिया गया था.

FPO की प्रक्रिया की जांच करेगा SEBI

रॉयटर्स ने अपनी एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया है कि सेबी इस बात की जांच करेगा कि कहीं अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ के तहत शेयर बेचे जाने की प्रक्रिया में देश के नियम-कानूनों को अनदेखी तो नहीं की गई है? इस संबंध में मार्केट रेगुलेटर को खास तौर पर इस बात की जांच करनी है कि ग्रेट इंटरनेशनल टस्कर फंड और आयुष्मत लिमिटेड के अडानी ग्रुप से किस तरह के रिश्ते हैं और कहीं इसमें हितों के टकराव का कोई मामला तो नहीं बनता है? दरअसल नियमों के मुताबिक किसी कंपनी के फाउंडर या फाउंडर ग्रुप से जुड़े किसी भी शख्स या एंटिटी को एंकर इनवेस्टर कैटेगरी में एप्लाई करने का अधिकार नहीं है.

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एलारा कैपिटल और मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल पर भी SEBI की नजर

रॉयटर्स के मुताबिक इस खबर के बारे में टिप्पणी के लिए उसने सेबी और अडानी ग्रुप के साथ ही साथ ग्रेट इंटरनेशनल टस्कर फंड और आयुष्मत लिमिटेड से भी संपर्क किया, लेकिन इनमें से किसी की तरफ से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. एजेंसी का कहना है कि एफपीओ को मैनेज करने वाले 10 इनवेस्टमेंट बैंकों में से दो – एलारा कैपिटल और मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल पर भी सेबी की नजर है. रॉयटर्स के मुताबिक सेबी ने पिछले हफ्ते ही इन दोनों से संपर्क भी किया था.

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हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने मचाई खलबली

भारत में शेयर बाजार से जुड़े नियमों के मुताबिक किसी कंपनी के फाउंडर या फाउंडर ग्रुप से जुड़े किसी भी शख्स या एंटिटी को एंकर इनवेस्टर कैटेगरी में एप्लाई करने का अधिकार नहीं है. अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर अपने शेयरों की कीमतों को गलत ढंग से मैनिपुलेट करने समेत कई गंभीर आरोप लगाए हैं. अडानी समूह इन तमाम आरोपों को बेबुनियाद और भारत पर हमला बताते हुए खारिज कर चुका है. फिर भी हिंडनबर्ग रिपोर्ट के सामने आने के बाद से ही न सिर्फ अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई है, बल्कि भारत की राजनीति में भी आरोपों का दौर शुरू हो गया है.

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