बिहार: अंग्रेजी में 98% नंबर..पर इंग्लिश नहीं लिख पाए, जीडीएस पद पर बहाली में फर्जीवाड़ा,11 धराए
ग्रामीण डाक सेवा को लेकर चल रही बहाली में 11 अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र फर्जी मिले, जिन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है. कंपनी बाग स्थित प्रधान डाकघर में आयोजित प्रमाणपत्र की जांच के दौरान यह मामला सामने आया है. इनके पास से कथित झारखंड के बोकारो इंडस्ट्रियल एरिया स्थित एक ही हाइ स्कूल के नाम से बना सर्टिफिकेट जब्त किया गया है. इस पर रौल कोड 25027 अंकित है. एक अभ्यर्थी के अंक पत्र में अंग्रेजी में 98 नंबर थे. लेकिन, उसे इंग्लिश लिखने नहीं आ रहा था. एक अन्य अभ्यर्थी काे 500 में कुल 491 अंक दर्ज हैं.
पकड़े गए अभ्यर्थी
पकड़ाये गये अभ्यर्थियों में बक्सर जिले के नवानगर थाने के अमीरपुर निवासी मुकेश कुमार, सीवान जिले के दौरौंदा के कुडोर गांव निवासी विवेक कुमार तिवारी, सारण जिले के दरेनी थाने के हरिपुर निवासी जितेश कुमार, खैरा थाने के नया टोला निवासी संदेश कुमार, जलालपुर थाने के इनामीपुर निवासी राकेश कुमार पांडेय, जलालपुर के धनोज कुमार ठाकुर, बनियापुर के अमन कुमार व तरैया थाना क्षेत्र के गौंदरी निवासी विवेक कुमार, गोपालगंज जिले के सिधवलिया थाने के शेर निवासी राजन कुमार व कटैया के थाना के रामपुर कलां निवासी दिलीप कुमार यादव, पटना जिले के मोकामा के मोदन गाछी निवासी बादल कुमार शामिल हैं. इस मामले को लेकर आरएमएस यू डिवीजन कार्यालय के रेल डाक अधीक्षक राजेश कुमार ने नगर थाने में प्राथमिकी को लेकर आवेदन दिया है. फर्जी प्रमाण पत्र के साथ पकड़े गये सभी अभ्यर्थियों ने पूछताछ जारी है.
2.50 से तीन लाख में बहाली को हुआ था सौदा
अभ्यर्थियों का कहना है कि उनको साइबर कैफे वाले ने फंसाया है. उनका कहना था कि हम सब कुछ संभाल लेंगे. बहाली के बाद उनको ढाई से तीन लाख रुपये देना होगा. मेरिट लिस्ट के आधार पर ग्रामीण डाक सेवा में बहाली होती है. इसी को लेकर सभी 11 अभ्यर्थियों ने झारखंड के बोकारो इंडस्ट्रियल एरिया स्थित हाई स्कूल के नाम से फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया था. सभी पर डिस्टेंशन मार्क्स था. इसके आधार पर वह मेरिट लिस्ट में आ गया था. लेकिन, जब प्रमाण पत्र की जांच शुरू की गयी तो यह फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है.
ऐसे सामने आया फर्जीवाड़ा का मामला
जाली प्रमाणपत्र की रेल डाक निरीक्षक ने बारीकी से जांच शुरू की तो पता चला कि झारखंड के बोकारो इंडस्ट्रियल एरिया हाईस्कूल से पास होने का सभी ने प्रमाणपत्र बनवाया है. 2004-2005 में 10वीं पास आउट, उसके पांच साल पहले और बाद के पास आउट करने वाले का प्रमाणपत्र एक जैसा था. हस्ताक्षर भी एक तरह का ही पाया गया. सभी के अंक भी 98-99 प्रतिशत हैं. इस पर अधिकारियों ने सभी प्रमाणपत्रों को रिजेक्ट कर अभ्यर्थियों को पुलिस के हवाले कर दिया.