मोदी सरनेम केस में राहुल गांधी की सजा पर रोक, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मिली सजा के निलंबन की याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने राहुल गांधी के विरोध में दलीलें दे रहे शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी के वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी से पूछा कि अदालत ने अधिकतम सजा देने के क्या ग्राउंड दिए हैं. कम सजा भी तो दी जा सकती थी. उससे संसदीय क्षेत्र की जनता का अधिकार भी बरकरार रहता. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को सुनाई सजा के फैसले पर रोक लगा दी है. जब तक अपील लंबित रहेगी, तब तक सजा पर रोक बरकरार रहेगी. कोर्ट के इस आदेश के साथ ही राहुल गांधी की संसद सदस्यता भी बहाल हो गई है. अब वे संसद सत्र में भी हिस्सा ले सकेंगे. वहीं कोर्ट का फैसला आने के बाद कांग्रेस ने ट्वीट कर लिखा- यह नफरत के खिलाफ मोहब्बत की जीत है. सत्यमेव जयते – जय हिंद
हाई कोर्ट का आदेश उपदेश जैसा: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात हाई कोर्ट के न्यायाधीश का आदेश पढ़ने में बहुत दिलचस्प है. उन्होंने इसमें बहुत उपदेश दिया है. वहीं सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि मैं बता दूं कि कई बार कारण न बताने पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा आलोचना की जाती है, इसीलिए हाई कोर्ट ने विस्तृत कारण बताता है. ऐसी टिप्पणियां थोड़ी हतोत्साहित करने वाली हो सकती हैं.
वहीं जस्टिस गवई ने कहा- हम जानते हैं कि टिप्पणियां मनोबल गिराने वाली हो सकती हैं, इसीलिए हम उन्हें लिखने में वक्त लेते हैं, जब तक कि यह बहुत स्पष्ट न हो. वहीं राहुल गांधी के वकील अभिषेक मुन सिंघवी ने कहा कि एसजी केवल एक प्रोफार्मा पार्टी हैं. इस कोर्ट ने उन्हें समय दिया है. वहीं जेठमलानी ने कहा कि उनका (राहुल गांधी) तर्क है कि बदनाम करने का कोई इरादा नहीं था. जस्टिस गवाई ने कहा- हम पूछ रहे हैं कि अधिकतम सजा लगाने का कारण क्या था. अगर उन्हें 1 वर्ष 11 माह का समय दिया होता तो कोई अयोग्यता नहीं होती.
सूरज को उगने से नहीं रोका जा सकता:
कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कोर्ट के फैसले पर कहा कि सच्चाई की जीत हुई. कोर्ट से हमें इंसाफ मिला. बीजेपी ने साजिश रची. सूरज को उदित होने से नहीं रोका जा सकता, फिर चाहे कितने ही बादल हों.
23 मार्च को कोर्ट ने सुनाई थी दो साल की सजा
सूरत की सेशन कोर्ट ने 23 मार्च को राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी करार दिया था. इसके साथ ही उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद राहुल ने गुजरात HC में याचिका लगाकर निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी.
याचिका खारिज होने पर राहुल ने गुजरात हाईकोर्ट के दोष पर रोक लगाने से इनकार करने वाले फैसले के खिलाफ केस किया है. सूरत की सेशन कोर्ट ने 23 मार्च को राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि मामले में दोषी करार दिया था, साथ ही दो साल की सजा भी सुनाई थी. निचली अदालत ने राहुल को जमानत तो दे दी थी, लेकिन दोषी करार दिए जाने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
दोष सिद्धि पर रोक ना लगने की वजह से राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द हो गई थी. इस मामले में राहुल गांधी से पहले ही शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दिया था. पूर्णेश मोदी ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि बिना उनका पक्ष को सुने कोर्ट कोई आदेश पारित ना करे.