केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा में तीन दिवसीय कृषि अर्थशास्त्र अनुसंधान परिषद के 31वां वार्षिक अधिवेशन की हुई शुरुआत
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समस्तीपुर/पूसा :- समस्तीपुर के डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के कृषि अनुसंधान परिसर में आज से तीन दिवसीय कृषि अर्थशास्त्र अनुसंधान परिषद के 31वां वार्षिक अधिवेधन की शुरूआत हुई। 7 दिसंबर से 9 दिसम्बर तक चलने वाले इस अधिवेशन का उद्घाटन कार्नेल विश्वविद्यालय के टाटा कार्नेल इंस्टिच्यूट के निदेशक प्रो. प्रभु पिंगाली, कृषि अनुसंधान अधिवेशन के सचिव डॉ. अंजनी कुमार, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पी एस पांडेय ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
इस अधिवेशन में देश-विदेश के 300 से अधिक कृषि अर्थशास्त्री भाग लेंगे। इस अधिवेशन में कृषि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नई चुनौतियों पर गहन विचार विमर्श किया जाएगा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कर्नेल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एवं प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रोफेसर प्रभु पिंगली ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीड की हड्डी है। अगर आने वाले समय में भारत को विकसित राष्ट्रों के श्रेणी में खड़ा होना है तो कृषि के विकास पर गंभीरता से ध्यान देना होगा।
उन्होंने कहा कि भारत में क्षमता है कि वह न सिर्फ अपने देश के लोगों का बल्कि विश्व भर के लोगों का पेट भर सकता है। उन्होंने कहा कि तीन दिनों तक चलने वाले इस अधिवेशन में कई गंभीर चर्चा होगी। जिसके परिणाम काफी अच्छे निकालकर आएंगे। वहीं डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पी एस पांडे ने कहा कि आने वाले वर्षों में कृषि के क्षेत्र में कई तरह के परिवर्तन जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डाटा तथा अन्य नई तकनीक के उपयोग से कृषि और किसान दोनों लाभान्वित होंगे।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय डिजिटल कृषि के क्षेत्र में अगुवाई बनकर उभर रहा है। विश्वविद्यालय में कई नई कोर्स की शुरुआत हुई है। ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग, ड्रोन के रखरखाव, 5G लैब की स्थापना, वर्चुअल लैब तथा अन्य डाटा तकनीक का प्रयोग हो रहे हैं। कृषि अनुसंधान अधिवेशन के सचिव डॉ. अंजनी कुमार ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में कृषि अर्थशास्त्रियों ने अहम भूमिका निभाई है। तीन दिनों तक चलने वाले इस अधिवेशन में कई नई विचार उभरकर आएंगे। जो देश मे नई पीढ़ियों के मनोभावों को भी प्रदर्शित करता रहेगा।