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यहां नागराज से खेलते हैं लोग, गले और हाथों में लिपटा रहता है गेहुअन, हर डुबकी में भगत निकालता है 4-5 सांप

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समस्तीपुर/विभूतिपुर : समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत सिंघियाघाट में आज नागपंचमी पर एक ऐसा मेला लगा जिसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे। यहां सांप को देखकर अच्छे-अच्छों की दिग्घी बंध जाती है। अचानक से सांप को देखने के बाद मुंह से आवाज नहीं निकलती है, वहां इस मेले में भगत के साथ-साथ बच्चे-युवा से लेकर बूढ़े तक के गले में जहरीले सांप इस तरह लिपटाए रहते हैं कि मानों सांप इनके दोस्त हो। यहां लोग जहरीले से जहरीले सांप के साथ खेलते हैं, उसे गले में हाथों लिपटा कर कई तरह के करतब करते हैं। इसको लेकर महीनों पहले सांपों के पकड़ने का सिलसिला शुरू होता है जो नागपंचमी के दिन तक चलता है।

आज नागपंचमी पर भगत राम सिंह सहित अन्य गहवर में भगतों ने माता विषहरी का नाम लेते हुए दर्जनों सांप निकाले। विषैले सांपों को मुंह में पकड़कर घंटों विषहरी माता का नाम लेते हुए करतब दिखाते रहे। यहां पूजा करने के लिए समस्तीपुर जिले के अलावा खगड़िया, सहरसा, बेगूसगू राय, मुजफ्फरपुर जिले के भी लोग आते हैं।

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सैकड़ों की संख्या में भगत हाथ में सांप लिए बूढ़ी गंडक नदी के सिंघियाघाट पुल घाट पहुंचे। वहां भगतों ने नदी में प्रवेश करने के बाद माता का नाम लेते हुए दर्जनों सांप निकाले। इस दौरान नदी के घाट पर मौजूद भक्त नागराज व विषधर माता के नाम की जयकारा लगाते रहे। सांप लेकर भगत जुलूस के साथ सिंघियाघाट बाजार होते हुए नरहन भ्रमण कर मंदिर पहुंचे। पूजा के बाद सांपों को जंगल में छोड़ दिया गया। कई गांव के विषहरी स्थान में बलि पूजा भी हुई। लोगों ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि उनकी मांगी गई मुरादें पूर्ण होने पर लोग संबंधित विषहरी स्थान में बलि चढ़ाने पहुंचते हैं।

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स्थानीय लोगों ने बताया कि यह मेला मिथिला का प्रसिद्ध मेला है। यहां नाग देवता की पूजा की सैकड़ों साल से चली आ रही है। यह परंपरा विभूतिपुर में आज भी जीवंत है। यहां मूलत: गहवरों में बिषहरा की पूजा होती है। यहां की श्रद्धालु महिलाएं अपने वंश वृद्धि की कामना को लेकर नागदेवता की विशेष पूजा करती हैं। महिलाएं नागों का वंश बढ़ने की भी कामना करती है। मन्नत पूरी होने पर नाग पंचमी के दिन गहवर में झाप और प्रसाद चढ़ाती है। लोगों का कहना है कि यहां मेले की शुरुआत सौ साल पहले से ही चली आ रही है।

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