रोहिणी आचार्य ने प्रशांत किशोर को कहा- ‘राजनीतिक टट्टू’, बोली- अजब बचकानी बात करते हो पीके पांडेय जी
दो अक्टूबर को पार्टी बन रही जनसुराज और इसके संस्थापक प्रशांत किशोर पर सियासी हमले होने लगे हैं। इस रविवार को पटना के बापू सभागार में जनसुराज की ओर बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसमें हजारों लोग शामिल हुए थे। प्रशांत किशोर ने अपने संबोधन के दौरान सीएम नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद पर हमला बोला था। अब लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्या ने पलटवार किया है। उन्होंने पीके को जवाब देते कहा कि अजब बचकानी बात करते हो पीके पांडेय जी। पैदल चलने और राजनीतिक समझ रसूख व पकड़ रखने में क्या संबंध है? अगर पैदल चलना ही राजनीति है और गवर्नेंस की समझ व प्रभाव का पैमाना होता तो सारे मैराथन धावक देश के प्रधानमंत्री होते। किसी राज्य के मुख्यमंत्री और बड़े नेता होते।
पीके की तुलना मैराथन धावक से कर दी
राजनीतिक पंडितों की मानें तो रोहिणी ने सोशल मीडिया पर दिए गए बयान से प्रशांत किशोर के बारे में जनता को स्पष्ट संदेश देना चाह रही है। वह बताना चाहती हैं कि पदयात्रा से बिहार की राजनीति में पकड़ रखने का कोई मतलब नहीं है। वह प्रशांत किशोर के राजनीतिक प्रभाव को भी सिरे से खारिज कर रही हैं। उन्होंने उनकी तुलना मैराथन के धावक से कर दी। इतना ही नहीं उन्हें राजनीतिक टट्टू तक कह दिया।
प्रशांत किशोर ने राजद को दी खुली चुनौती
एक सितंबर को पटना में प्रशांत किशोर ने लालू प्रसाद और उनकी पार्टी पर हमला बोला था। कहा था कि राष्ट्रीय जनता दल के लोग जो पिछले 30 वर्षों से मुसलमान के रहनुमा होने का दावा करते हैं, मैंने उनको आज इस सभा और इस मंच के जरिए चुनौती दे रहा हूं कि अगर वह यह कह रहे हैं कि जनसुराज के लोग आएंगे, कोई मुसलमान उनको वोट देगा तो वोट बंटेगा, तो मैं उनको यह कह रहा हूं कि जहां भी आपके मुस्लिम उम्मीदवार जीते हुए हैं आप वहां मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा कीजिए। आप जहां मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा करेंगे मैं वहां मुस्लिम नहीं बल्कि हिंदू उम्मीदवार खड़ा कर के चुनाव लडूंगा। प्रशांत किशोर ने राष्ट्रीय जनता दल को चुनौती देते हुए कहा कि विगत 30 वर्षों से जिन मुसलमान का तुम वोट लेते रहे हो उसकी हकमारी बंद करो और हिम्मत हो तो उनकी आबादी के हिसाब से टिकट देकर दिखाओ। वोट तो तुमने लिया है यह हमने उनको चुनौती दी है।
अजब बचकानी बात करते हो पीके पांडेय जी .. पैदल चलने और राजनीतिक समझ, रसूख व् पकड़ रखने में क्या संबंध है ? अगर पैदल चलना ही राजनीति व् गवर्नेंस की समझ व् प्रभाव का पैमाना होता तो सारे मैराथन धावक देश के प्रधानमंत्री – मुख्यमंत्री व् बड़े नेता होते ..
वैसे टट्टूओं से ज्यादा कौन…
— Rohini Acharya (@RohiniAcharya2) September 3, 2024