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समस्तीपुर में BPSC शिक्षक बहाली में बड़े पैमाने पर हुआ फर्जीवाड़ा, फर्जी ज्वाइनिंग लेटर बनाकर फर्जी अभ्यर्थी की हुई बहाली 

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समस्तीपुर : बिहार में बड़े पैमाने पर बीपीएससी शिक्षकों की बहाली की गई। टीआरई-1 में 1,20,336 पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन लिए गए थे। विभाग की माने तो समस्तीपुर में बहाल 95 प्रतिशत अभ्यर्थियों का बायोमेट्रिक जांच पूरी कर ली गई है। इतनी जांच और पारदर्शिता के बाबजूद चयनित अभ्यर्थी की जगह फर्जी अभ्यर्थियों की बहाली की गई।

शिक्षक बहाली की प्रक्रिया पूरी होने के लगभग महीनों बाद मीडिया के माध्यम से मामला उजागर होने के बाद से शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। सूत्रों की मानें तो इस फर्जीवाड़े में विभाग के कर्मी के अलावे काउंसलिंग प्रक्रिया में प्रतिनियुक्ति किए गए कई शिक्षक की भूमिका भी संदिग्ध है। बड़ा सवाल है कि इतनी पारदर्शिता के बावजूद आखिर कैसे इस प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा किया गया।

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जरा इस खेल को भी समझ लीजिए। बीपीएससी परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की लिस्ट जारी होने के बाद डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के बाद अभ्यर्थियों का बायोमेट्रिक थम्ब लिया गया था। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में शामिल शिक्षा विभाग के कर्मियों के द्वारा चयनित बीपीएससी शिक्षक परीक्षा में चयनित अभ्यर्थी के ज्वाइंन नही करने पर उनकी रोल नंबर और कैंडिडेट की आईडी पर फर्जी शिक्षक की बहाली कर दी गई।

दोनों अभ्यर्थियों के एडमिट कार्ड पर जरा गौर कीजिए। दोनों कैंडिडेट के एडमिट कार्ड और ज्वाइनिंग लेटर पर रौल नंबर और कैंडिडेट आईडी नंबर एक ही है। अब कैंडिडेट के सिग्नेचर के स्थान पर नजर डालिये। फर्जी शिक्षक के एडमिट कार्ड पर सिग्नेचर वाली स्पेस चयनित कैंडिडेट से अलग है। फर्जी अभ्यर्थी के फॉर्म के क्यूआर कोड को ब्लर कर दिया गया है जिससे अभ्यर्थी की सही जानकारी नहीं मिल सकती है। अब दोनों फार्म के नीचे डीईओ के हस्ताक्षर पर भी गौर फरमाइये। एक में डीईओ के सील के साथ ब्लू कलर के हस्ताक्षर है जबकि फर्जी में बिना सील के ब्लैक कलर के हस्ताक्षर नजर आ रहे है।

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अगर सही तरीके से जांच की जाए तो पूरे समस्तीपुर जिले भर में दो से तीन दर्जन वैसे फर्जी शिक्षक मिल सकते हैं जिन्होंने बिना परीक्षा पास किये पैसों के बल पर नौकरी ज्वाइन कर ली। सूत्रों के अनुसार एक-एक उम्मीदवार से 10 से 15 लाख रुपये लेकर ज्वाइनिंग करवा दी गई है। उन्हें वेतन का भी भुगतान किया जा रहा है। यहां तक की ज्वाइनिंग के बाद उनका ट्रेनिंग भी करवाया गया। यह पूरी प्रक्रिया सभी कर्मियों व पदाधिकारियों की मिली-भगत से हुई है। सभी ने मिलकर करोड़ों रुपये का खेल-बेल कर बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा किया है।

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वहीं इस पूरे मामले पर शिक्षा विभाग के डीपीओ स्थापना कुमार सत्यम इस पूरे मामले पर अभिज्ञता जताते हुए कहा कि मीडिया के माध्यम से उन्हें जानकारी मिली है, अब पूरे मामले की जांच की जाएगी। डीपीओ का कहना है कि नवनियुक्त 95 प्रतिशत बीपीएससी शिक्षकों का थम्ब लिया जा चुका है। कुछ शिक्षकों का किसी न किसी कारण से अभी भी बाकी है। ऐसे में अब देखने वाली बात है कि इतनी पारदर्शिता के बाबजूद इस खेल को कैसे और किसके द्वारा अंजाम दिया गया ? अब मामला उजागर होने के बाद शिक्षा विभाग दोषी अधिकारी और कर्मियों पर कार्रवाई करती है या फिर जांच में ही मामला सुलझ कर रह जाती है।

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