समस्तीपुर में BPSC शिक्षक बहाली मामले में एक और नया कारनामा; तीन शिक्षकों की जगह पांच ने किया ज्वाइन, दो का फर्जी रौल नंबर पर योगदान
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समस्तीपुर : बीपीएससी शिक्षक बहाली में हुए फर्जीवाड़े का Samastipur Town Media ने सबसे पहले खुलासा किया। जैसे-जैसे Samastipur Town Media की टीम इसके तह में घुसने की कोशिश कर रही है वैसे-वैसे चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। Samastipur Town Media की पड़ताल में एक और सनसनी खेज मामला सामने आया है जहां तीन शिक्षकों की जगह पांच शिक्षकों को ज्वाइन करा दिया गया। इतना ही नहीं स्कूल के प्रिंसिपल के फर्जी शिक्षकों के वेतन भुगतान के लिए गलत रौल नम्बर डाल कर एब्सेंटी भी भेज दिया। इन चीजों को देखकर तो लगता है कि इस फर्जीवड़े में शिक्षा विभाग के जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक के माफियाओं का गिरोह शामिल है।
विभूतिपुर प्रखंड के नवसृजित प्राथमिक विद्यालय नव टोलिया सिसबन्नी में बीपीएससी शिक्षक बहाली परीक्षा में चयनित तीन शिक्षकों की इस विद्यालय में तैनाती की गई। लेकिन हैरान करने वाली बात है कि इस स्कूल में तीन की जगह पांच शिक्षक तैनात है। विद्यालय में तैनात शिक्षकों में मात्र तीन शिक्षक का नाम बीपीएससी द्वारा जारी चयनित अभ्यर्थियो की सूची में दर्ज है। जिन दो शिक्षकों को अलग से विद्यालय में योगदान कराया गया है उनमें सुधांशु कुमार और शिल्पी कुमारी के नाम शामिल हैं जिनका रौल नंबर क्रमशः 200084 व 513332 है।
इतना ही नहीं स्कूल के प्रिंसिपल अविनाश टंडन के द्वारा शिक्षकों के वेतन भुगतान के लिए गलत रौल नंबर डाल कर एब्सेंटी तक भी भेज दिया गया। जब हमारी टीम स्कूल पर मामले को जानने के लिये पहुंची तो सुधांशु कुमार तो विद्यालय पर मिले लेकिन शिल्पी कुमारी गायब थी। इस मामले पर विद्यालय के प्रिंसिपल गोल-मोल जबाब देकर आधिकारिक रूप से कैमरे पर बयान देने से बचते नजर आ रहे है। उन्होंने सवाल किये जाने पर Samastipur Town Media की टीम के साथ धमकी भरे लहजे में बात किया।
स्थानीय सूत्रों की मानें तो अविनाश कुमार टंडन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी का खासमखास बताया जाता है। बीईओ के हर काम का वही लेखा-जोखा रखता है। इस फर्जीवाड़े की जानकारी प्रखंड से लेकर जिला स्तर के अधिकारियों को पहले से ही थी, लेकिन वो अब भी मामले में अंजान बने बैठे है।
अब मामला उजागर होने के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारी एक ही रटा रटाया जबाब दे रहे है की जांच के बाद दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। लेकिन सवाल उठता है कि शिक्षा विभाग को इस फर्जीवड़े कि भनक पहले क्यों नही लगी ? अगर अधिकारियों को पूर्व से जानकारी थी तो दोषी के खिलाफ एक्शन क्यों नही लिया गया ? क्या शिक्षा विभाग इस फर्जीवाड़े में शामिल माफियाओं पर कार्रवाई करेंगी या फ़िर जांच में ही मामले कि लीपा पोती कर दी जाएगी।