पूर्व विधायक बोगो सिंह के बेटे 9 घंटे डिजिटल अरेस्ट, पुलिस वर्दी में डरा रहा था साइबर अपराधी
बेगूसराय में शुक्रवार को मटिहानी विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह के बेटे सुमन सौरभ को साइबर अपराधियों ने 9 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा। सुमन स्कूल के डायरेक्टर हैं।
पहले लगा कि उनका अपहरण हो गया है। पुलिस लोकेशन खोजने में लग गई। इस दौरान पुलिस को पता चला वे हर-हर महादेव चौक स्थित एक होटल में हैं। एसपी मनीष समेत अन्य पदाधिकारी वहां पहुंचे। वहां से उन्हें सुरक्षित नगर थाना लेकर पुलिस पहुंची।
सदर-टू डीएसपी भास्कर रंजन के अनुसार सुमन ने पुलिस को बताया कि साइबर अपराधियों ने फोन पर कहा था आप फंसने वाले हैं। देश के अलग-अलग बैंक में आपके नाम से खाता है। जिसमें गलत पैसा आ रहा है। आप क्राइम ब्रांच से संपर्क करें। इसके बाद साइबर अपराधी ने व्हाट्सएप कॉलिंग से बात शुरू कर दी।
अपराधी पुलिस की वर्दी में था। उसने सुमन से कहा तुरंत नया मोबाइल खरीदो और किसी होटल में 2 दिन के लिए चले जाओ, ये बात किसी को नहीं कहना। सुमन ने ऐसा ही किया। मोबाइल खरीद कर 2 दिन के लिए कमरा बुक कर लिया। अपराधी लगातार उनसे बात कर रहा था, इस बीच पुलिस आ गई।
4 घंटे तक संपर्क नहीं हुआ तो पुलिस को दी जानकारी
दरअसल सुमन रोज 12 से 1 बजे के बीच अपने घर खाना खाने जाते थे। शुक्रवार दोपहर वो खाने के लिए नहीं गए। न ही 1 बजे के बाद किसी का फोन रिसीव कर रहे थे। 4 घंटे तक संपर्क नहीं हुआ तो घरवालों को लगा कि वे व्यस्त होंगे। इस बात की सूचना जब बोगो सिंह को हुई तो उन्होंने जानकारी एसपी को दी।
मामले को अपहरण मान कर पुलिस ने लोकेशन खोजा। एसपी मनीष, सदर डीएसपी भास्कर रंजन, नगर थानाध्यक्ष, रिफाइनरी थानाध्यक्ष सहित आसपास के थाना की पुलिस एसटीएफ, डीआईओ और बड़ी संख्या में पुलिस बल मौके पर पहुंची, फिर पूछताछ में मामले का खुलासा हुआ।
प्रशासन के सकारात्मक सहयोग से सुमन सुरक्षित मिल गया
सुमन सौरभ के चाचा गोपाल कुमार ने बताया कि हम लोगों को शाम में जैसे ही सूचना मिली, उसे फोन करना शुरू किया, लेकिन फोन रिसीव नहीं कर रहा था। इसके बाद एसपी को जानकारी देने के साथ ही अपने स्तर से भी खोजबीन शुरू की। प्रशासन के सकारात्मक सहयोग से सुमन सुरक्षित मिल गया है।
स्थानीय पुलिस से शिकायत करें
डिजिटल अरेस्ट एक तरह की साइबर ठगी है। जिसमें किसी व्यक्ति को वीडियो कॉल के जरिए गिरफ्तारी का डर दिखाकर उसके एक कमरे कैद कर लिया जाता है और फिर उससे मुंहमांगी रकम वसूल ली जाती है।
डिजिटल अरेस्ट से जुड़े कुछ तथ्य
- डिजिटल अरेस्ट में, ठग खुद को पुलिस या किसी सरकारी संस्था का प्रतिनिधि बताकर कॉल करते हैं।
- ठग पीड़ित को डराने के लिए कई तरह की रणनीति अपनाते हैं। जैसे, झूठे आरोप लगाना, गिरफ़्तारी की धमकी देना, पीड़ित को अलगाव में रखना, और वित्तीय मांग करना।
- ठग पीड़ित को वीडियो कॉल के दौरान कहीं जाने या किसी को कॉल या मैसेज करने से रोकते हैं।
- ठग पीड़ित को यह कहकर गुमराह करते हैं कि उसका आधार कार्ड, बैंक अकाउंट या सिम कार्ड गैरकानूनी तरीके से इस्तेमाल हो रहा है।
- ठग पीड़ित से जमानत के लिए पैसे ऐंठते हैं।
- डिजिटल अरेस्ट के मामले में पीड़ित के पैन कार्ड, आधार कार्ड और दूसरे डेटा को गैरकानूनी तरीके से हासिल किया जाता है।
- डिजिटल अरेस्ट से जुड़े मामलों में पीड़ितों को साइबर फ़्रॉड की हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करानी चाहिए।
- डिजिटल अरेस्ट से जुड़े मामलों में स्थानीय पुलिस को भी शिकायत दी जा सकती है।