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विधायकों को मंत्री पद से लेकर कैश का ऑफर, बिहार की नीतीश कुमार सरकार को गिराने के लिए हवाला डील, फ्लोर टेस्ट का प्लान EOU ने पकड़ा

बिहार की नीतीश कुमार सरकार को विश्वास मत हासिल करने से रोकने के लिए हॉर्स ट्रेडिंग की गई थी। सत्ताधारी दल के विधायकों को हवाला के जरिए एडवांस पैसे भेजे गए थे। अगर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार विश्वास मत हासिल करने में हार जाती तो विधायकों को मोटी रकम अदा की जाती। यह खुलासा आर्थिक अपराध इकाई की जांच में हुआ है।

पटना के कोतवाली थाने में दर्ज एक प्राथमिकी में पैसों के लेन-देन से जुड़ी जांच के दौरान आर्थिक अपराध इकाई को हैरान करने वाले सबूत मिले हैं। EOU ने अपनी जांच रिपोर्ट प्रवर्तन निदेशालय को सौंप दी है। हॉर्स ट्रेडिंग से जुड़े इस केस की तफ्तीश अब प्रवर्तन निदेशालय करेगी।

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28 जनवरी से 12 फरवरी के बीच डील

अब तक की जांच में यह खुलासा भी हुआ है कि सत्तारूढ़ दल के विधायकों को हवाला के जरिए दिल्ली, उत्तर प्रदेश और झारखंड के साथ ही नेपाल से भी पैसे भेजे जा रहे थे। आर्थिक अपराध इकाई ने अवैध लेनदेन से जुड़े साक्ष्य भी ईडी को सौंप दिए हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को जनादेश मिला था, लेकिन बीच में वह महागठबंधन के साथ चले गए थे। दिसंबर में जनता दल यूनाईटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की विदाई के बाद बिहार कर राजनीतिक माहौल अचानक बदला और 28 जनवरी को उलटफेर फिर हो गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन सरकार के सीएम पद से इस्तीफा दिया और कुछ घंटे बाद भारतीय जनता पार्टी का समर्थन पत्र लेकर वापस राजग सरकार बनाने का दावा पेश किया। इस सरकार का गठन हो गया और 12 फरवरी को विश्वास मत, यानी फ्लोर टेस्ट की तारीख दी गई। इस दौरान ही यह सारी डील हुई, ताकि सरकार फ्लोर टेस्ट में पिछड़ जाए।

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मानवजीत सिंह ढिल्लों का बड़ा खुलासा

मानवजीत सिंह ढिल्लों के अनुसार हॉर्स ट्रेडिंग के इस केस में अब तक की जांच के दौरान EOU को यह भी पता चला है कि यदि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली NDA सरकार विश्वास मत में हार जाती तो विधायकों को दूसरे राज्यों में हवाला के जरिए पूरे पैसे दिए जाते। इसके साथ ही EOU को सरकार को अव्यवस्थित करने विधायक के अपहरण और मतदान के लिए प्रलोभन के भी साक्ष्य मिले हैं। इधर EOU के DIG के इस इनपुट पर JDU के हरलाखी विधायक सुधांशु शेखर भी एक बार फिर से अपनी मुहर लगाई है।

उलटा पड़ गया था महागठबंधन का दांव

बिहार में 28 जनवरी से 12 फरवरी के बीच महागठबंधन कुछ इस तरह का खेल कर रहा है, यह उस समय भी सामने आया था। तब यह आरोप-प्रत्यारोप जैसा था। यह घटनाक्रम फ्लोर टेस्ट के दिन तक चला, जिसमें राजद को अपने विधायक भी सहेजकर रखने पड़े थे। उस दौरान जदयू-भाजपा के कुछ विधायकों को फ्लोर टेस्ट तक बाहर ही रोकने का कई उपक्रम चला था। उस उपक्रम में कुछ विधायक खुद ही अपना चेहरा भी दिखा बैठे।

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महागठबंधन के ही दांव के उलट जाने की जानकारी मिली

ईओयू की जांच के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय जब जांच कर पूरी रिपोर्ट सामने लाएगा तो यह भी खुलासा होगा कि खुद को फ्लोर टेस्ट में पहुंचने या देर से पहुंचने के लिए किसने और क्या प्लान रखा था। उस दिन कई विधायक बिल्कुल अंतिम समय में तब पहुंचे, जब उन्हें महागठबंधन के ही दांव के उलट जाने की जानकारी मिली। राष्ट्रीय जनता दल की इसमें अहम भूमिका बताई जा रही है, क्योंकि उप मुख्यमंत्री से देखते-देखते विपक्ष के नेता बने तेजस्वी यादव बार-बार खेला होने की बात कह रहे थे। राजद का यह खेला उलट गया, क्योंकि उसके खेमे से ही तीन विधायक फ्लोर टेस्ट के दौरान एनडीए के खेमे में जा बैठे। नीतीश कुमार सरकार बहुमत परीक्षण में पास हो गई। नीतीश सरकार के पास 128 विधायक थे और बहुमत परीक्षण में इनकी संख्या 130 हो गई।

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