अठरा बरस की कुवांरी कली थी, घूंघट में मुखड़ा छुपा के चली थी…; पूर्णिमा श्रेष्ठ की प्रस्तुति से महोत्सव का हुआ आगाज
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समस्तीपुर/विद्यापतिनगर [पदमाकर सिंह लाला] : विद्यापतिधाम में बुधवार की शाम जब मशहूर बॉलीवुड गायिका पूर्णिमा श्रेष्ठ की सुरीली आवाज का जादू चला तो पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। मौका था तीन दिवसीय बारहवें विघापति राजकीय महोत्सव के आगाज का । महोत्सव में वॉलीबुड गायिका पूर्णिमा श्रेष्ठ ने जैसे ही विघापतिधाम रेलवे मैदान स्थित मंच पर आयी हजारों की संख्या में उपस्थित जनसमूह उनके दीदार को खड़े होकर व तालियों से इस्तकबाल किया।
90 की दशक की चुलबुली और दिलकश आवाज की धनी पार्श्व गायिका पूर्णिमा श्रेष्ठ ने अपनी सुरलहरियों से आठरा बरस की कुंवारी कली थी घूंघट में मुखड़ा छुपा के चली थी………..शाम है धुंआ धुंआ………… क्या हुआ तेरा वादा ओ कसम ओ इरादा…….. झुमका गिरा बरेली के बाजार में झुमका गिरा रे……..सोना कितना सोना है सोने जैसा तेरा रंग सुन जरा सुन क्या कहती है तू मेरा हीरो नंबर वन……..आदि गीतों की प्रस्तुति से उपस्थित लोंगों को रात का अहसास तक नहीं होने दिया।
वहीं जैसे ही पूर्णिमा श्रेष्ठ ने टिप टिप वर्षा पानी…. ऊंची है बिल्डिंग लिफ्ट तेरी बंद है…… की प्रस्तुति से उपस्थित जनसमूह गीतों की सुर,लय और ताल ने महफिल में मौजूद सभी लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। देर रात तक आम से लेकर खास लोग सुर लहरियों में ताल से ताल व सुर से सुर मिलाते रहे। पूर्णिमा की मखमली आवाज का जादू ऐसा छाया की सांस्कृतिक कार्यक्रम में श्रोताओं ने खूब गोते लगाए। पूर्णिमा श्रेष्ठ ने सुर, लय और ताल से ऐसा समां बांधा की उपस्थित श्रोता खड़े होकर तालियां बजाने को मजबूर हो गए। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच एक से बढ कर एक गीतों ने लोगों को खूब लुभाया।