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विद्यापति राजकीय महोत्सव : श्रोताओं को रास नहीं आया कवि सम्मेलन, स्वनाम धन्य कवि बढ़ाते रहें मंच की शोभा

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समस्तीपुर/विद्यापतिनगर [पदमाकर सिंह लाला] :- महाकवि कोकिल विद्यापति जी के स्मृति दिवस पर आयोजित बारहवें विद्यापति राजकीय महोत्सव के दूसरे दिन गुरुवार को आयोजित कवि सम्मेलन फीका रहा। विद्यापतिधाम रेलवे मैदान में आयोजित सम्मेलन में जहां जिला प्रशासन की ओर से उक्त कार्यक्रम की सफलता के लिए एक पखवाड़े से तैयारी चल रही थी। वहीं अर्ध शतक की संख्या में स्थानीय स्वघोषित कवि कोबिद के कंधे पर महोत्सव को यादगार बनाने का जिम्मा भी दिया। लेकिन दर्जन भर श्रोताओं की महफिल ने सभी तैयारियों की पोल खोल दी।

स्थानीय श्रोताओं की मानें तो हमेशा से साल दरसाल एक ही स्वनाम धनी रातों रात कवि बने कवियों से महोत्सव का काव्य मंच सजता रहा है। नतीजतन श्रोताओं को उनकी उटपटांग रचनाएं रास नहीं आती है। मैथिल कोकिल महाकवि विद्यापति जी ने जिस काव्य विधा की बदौलत दुनिया भर में मिथिलांचल का मान बढ़ाया था। उनकी समाधि भूमि पर बतौर श्रद्धांजलि सभा के रूप में आयोजित कवि सम्मेलन राजकीय महोत्सव के एक दशक पूर्ण होने के बाद भी अपनी व्यापकता को हासिल नहीं कर सका है।

बताते हैं कि इस महोत्सव में वर्षों से अंगद की तरह पांव जमाएं तथाकथित कवि हमेशा ही महोत्सव के आयोजन की आहट पाते ही सक्रिय भूमिका में आ जाते हैं। प्रशासनिक तालमेल बिठा कर कवि सम्मेलन में काव्य पाठ करने वाले कवियों की सूची में अपने सगे संबंधियों का नाम समाहित करवा उन्हें रातों रात मंच प्रदान करते रहें हैं। वहीं गुरुवार को आयोजित सम्मेलन में मंच पर अव्यवस्था पोल खोलती दिखीं। अधिकांश कुर्सियां खाली रहीं।

कवियों ने अपनी रचनाओं को खुद सुन वाही लूटी। कुछेक कवियों को छोड़ कर अधिकांश कवि अपनी ही रचनाओं पर पीठ थपथपाते दिखें। तो मैथिल कोकिल विद्यापति जी की रचनात्मक विशालता को श्रोताओं के बीच परोसने में छूटभेये कवि नाकाम रहे। स्थानीय काव्य प्रेमियों की मानें तो एक अदद स्तरीय कवि सम्मेलन आयोजित करवाने में जिला प्रशासन अब तक नाकाम रहा है। नतीजतन कवि से भी कम संख्या में श्रोता शामिल होते रहें हैं।

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