समस्तीपुर के लाल की पुस्तिका बिहार को दिलाएगी झंझट से मुक्ति, ‘कैथी लिपि पाठ्य पुस्तिका’ को सरकार ने स्वीकारा
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समस्तीपुर/विभूतिपुर [विनय भूषण] : वर्तमान समय में राज्य में संचालित बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त कार्यक्रम अंतर्गत रैयतों को अनेक विगत दस्तावेजों के कैथी लिपि में होने के कारण कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। कैथी लिपि में लिखे जमीन के पुराने दस्तावेजों को पढ़ने और समझने में सर्वेयर, रैयतों, भूमि एवं राजस्व विभाग से जुड़े कर्मियों समेत अन्य को भी काफी परेशानी है। इस समस्या को दूर करने करने के लिए विभूतिपुर प्रखंड के मिश्रौलिया वार्ड 4 निवासी राम नारायण महतो और रेशमा देवी के पुत्र सह बीएचयू के रिसर्चर प्रीतम कुमार ने बिहार सरकार की मदद की है।
कैथी लिपि को पढ़ने और समझने के लिए इनके द्वारा लिखी गई ‘ कैथी लिपि पाठ्य पुस्तिका’ को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री दिलीप जायसवाल ने अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह, सचिव जय सिंह, निदेशक भू-अभिलेख एवं परिमाप जे.प्रियदर्शिनी की मौजूदगी में विगत 5 दिसम्बर को लांच किया है। पुस्तक विमोचन के बाद विभाग ने इस पुस्तक को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की वेबसाइट पर अपलोड भी किया है। इससे उन रैयतों को फायदा होगा जिनके जमीन के कागजात कैथी लिपि में हैं। पुस्तिका के लेखक प्रीतम कुमार के मुताबिक विभाग द्वारा उठाए गए इस कदम से राज्य के सभी वैसे रैयत लाभान्वित होंगे जिनके पास भू-स्वामित्व से संबंधित पुराने दस्तावेज कैथी लिपि में लिखे हुए हैं।
राज्य में सर्वे खतियान एवं अनेक पुराने दस्तावेजों के कैथी लिपि में लिखे रहने के कारण विशेष सर्वेक्षण प्रक्रिया में कई तरह की समस्या आ रही थी। रैयत निजी व्यक्तियों या पुराने सरकारी कर्मियों का सहारा लेते थे। इसके लिए कभी-कभी लोगों से अनावश्यक राशि ले ली जाती थी। ऐसे में कई लोगों ने इस संबंध में विभाग और क्षेत्रीय कार्यालयों में अपनी समस्याएं रखीं थीं। इसको देखते हुए इस पुस्तक के प्रकाशन का निर्णय लिया गया था। अब, अंतिम रुप भी दे दिया गया है। विभाग की ओर से तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम सात जिलों में चलाए जा रहे जिलों में पश्चिम चंपारण, दरभंगा, समस्तीपुर, सीवान, सारण, मुंगेर और जमुई है। विभाग की ओर से राज्य के अन्य सभी जिलों में भी प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम तैयार किया गया है।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह को पुस्तक से उम्मीद :
राज्य में समस्त भूमि के प्रत्येक भू-खण्ड का रैयतवार स्वामित्व निर्धारण सुनिश्चित करना राज्य सरकार का दायित्व है। वर्तमान स्थिति के अनुकूल स्वामित्व निर्धारण की इस प्रक्रिया में विगत भू-सर्वेक्षण के अधिकार अभिलेख एवं रैयतों के पास उपलब्ध लम्बी अवधि पूर्व के भू-दस्तावेज एक साक्ष्य के रूप में आवश्यक होते हैं। राज्य में अनेक जिलों एवं ग्रामों के उपलब्ध खतियान एवं भू-दस्तावेज कैथी लिपि में लिखित हैं। वर्तमान समय में कैथी लिपि सामान्य जन-जीवन एवं भू-दस्तावेजों से विलुप्त हो गई है और इसी कारण इस लिपि को जानने एवं समझने वालों की संख्या भी अत्यंत सीमित हो गई है। वर्तमान समय में राज्य सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के आलोक में समस्त राज्य में बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। इस कार्यक्रम की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि कैथी लिपि में लिखित अनेक जिलों के खतियान एवं भू-दस्तावेजों के अनुरूप स्वामित्व निर्धारण की प्रक्रिया पूर्ण की जाए।
कैथी लिपि से वर्तमान समय के रैयतों और विशेष सर्वेक्षण में संलग्न कर्मियों के अनभिज्ञ रहने के कारण आनेवाली समस्याओं के निराकरण के लिए भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय द्वारा “कैथी लिपि पाठ्य पुस्तिका” का प्रकाशन किया जाना एक सार्थक पहल है। इस पुस्तिका के प्रकाशन से विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त कार्य में संलग्न विशेष सर्वेक्षण कर्मियों को कैथी लिपि में लिखित विगत भू-सर्वेक्षणों के खतियान एवं रैयतों द्वारा सर्वेक्षण की प्रक्रिया में कैथी लिपि में उपस्थापित किए जाने वाले भू-दस्तावेजों को समझने एवं उसके आलोक में स्वामित्व निर्धारण को स्पष्ट करने में सहायता मिलेगी। ‘कैथी लिपि पाठ्य पुस्तिका’ के प्रकाशन के लिए भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय एवं इस पाठ्य पुस्तिका के लेखक प्रीतम कुमार को धन्यवाद देती है। यह आशा है कि यह पुस्तिका विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त कार्य में संलग्न कर्मियों एवं राज्य के आम रैयतों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह के शब्द :
कई दशक पूर्व बिहार के भू-दस्तवेजों एवं विगत सर्वे खतियान में प्रयुक्त की जाने वाली कैथी लिपि से वर्तमान पीढ़ी के रैयत एवं राजस्व प्रशासन में कार्यरत कर्मी लगभग अनभिज्ञ हैं। वर्तमान समय में इस लिपि का प्रयोग सामान्य जनजीवन एवं वर्तमान भू-अभिलेखों में बिल्कुल नहीं किए जाने के कारण इस लिपि को पढ़ने एवं समझने वाले की संख्या अत्यंत सीमित होकर रह गई है। इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता है कि भू-सर्वेक्षण एवं भू-स्वामित्व के निर्धारण की प्रक्रिया में विगत सर्वे खतियान एवं पुराने भू-दस्तावेजों की महती भूमिका होती है। वर्तमान समय में राज्य में संचालित बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त कार्यक्रम में रैयतों के अधिकार अभिलेख के निर्माण की प्रक्रिया में भू-खण्डों के स्वामित्व निर्धारण की कार्रवाई में विगत खतियान के अनुरूप स्वामित्व की स्थिति को स्पष्ट किया जाना इस भू-सर्वेक्षण प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रम है।
भू-सर्वेक्षण के इस प्रक्रम में विगत सर्वे खतियान के कैथी लिपि में लिखित होने के कारण सर्वे में संलग्न कर्मियों और आम रैयतों को स्वाभाविक रूप से अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हैं। इस परिप्रेक्ष्य में भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय द्वारा “कैथी लिपि-पाठ्यपुस्तिका” का प्रकाशन किया जाना एक सराहनीय कदम है। मैं निदेशक, भू-अभिलेख एवं परिमाप, बिहार, पटना एवं कैथी लिपि-पाठ्य पुस्तिका के लेखक प्रीतम कुमार को धन्यवाद देता हूं। जिन्होंने कैथी लिपि को पढ़ने एवं समझने की प्रक्रिया को सरल रूप में समझाने का प्रयास किया गया है। आशा है कि यह पुस्तिका सर्वेक्षण में संलग्न कर्मियों एवं आम जनता के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी।
निदेशक की नजर में पाठ्य-पुस्तिका :
निदेशक भू-अभिलेख एवं परिमाप जे. प्रियदर्शिनी के शब्दों में बिहार के अलग-अलग प्रक्षेत्रों यथा-भोजपुर, मगध एवं मिथिला में अलग-अलग तरीके से भू-दस्तावेजों के लेखन में प्रयुक्त होने वाली कैथी लिपि वर्तमान समय में सामान्य जन-जीवन एवं भू-दस्तावेजों में विलुप्त प्रायः हो गई है। राज्य में विभिन्न प्रयोजनों यथा- भू-अन्तरणों, भू-सर्वेक्षण (विशेष सर्वेक्षण एवं बन्दोबस्त) इत्यादि की प्रक्रिया में विगत भू-सर्वेक्षण खतियान और विगत भू-दस्तावेज तथा भू-स्वामित्व की स्थिति स्पष्ट करने के लिए एक महत्त्वपूर्ण एवं अनिवार्य साक्ष्य होते हैं। राज्य में उपलब्ध विगत सर्वेक्षण के अनेक भू-दस्तावेजों एवं खतियान के कैथी लिपि में लिखित होने के कारण वर्त्तमान समय में आम रैयतों एवं भू-सर्वेक्षण कार्य में संलग्न कर्मियों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कैथी लिपि का आमजनों में प्रचलित नहीं होने के कारण इससे सम्बन्धित विस्तृत जानकारी अथवा इसे पढ़ने से सम्बन्धित किसी भी प्रकार की पाठ्य सामग्री का वर्त्तमान समय में सर्वथा अभाव है। कैथी लिपि से सम्बन्धित उपरोक्त परिस्थितिजन्य समस्याओं एवं आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय, बिहार, पटना द्वारा राज्य के रैयतों और वर्तमान समय में बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बन्दोबस्त कार्यक्रम में संलग्न पदाधिकारियों / कर्मियों को उनके कार्य में होने वाली असुविधा को देखते हुए “कैथी लिपि-पाठ्यपुस्तिका” के प्रकाशन का निर्णय लिया गया। निदेशालय द्वारा इस पुस्तिका के लेखन का दायित्व श्री प्रीतम कुमार शोध छात्र, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय को दिया गया।
इस दायित्व को पूर्ण करने के पूर्व श्री प्रीतम कुमार द्वारा अपने एक अन्य सहयोगी मो. वकार अहमद के साथ राज्य के अनेक जिलों यथा-पश्चिमी चम्पारण, दरभंगा, समस्तीपुर, सारण इत्यादि के बन्दोबस्त कार्यालयों में पदस्थापित विशेष सर्वेक्षण कर्मियों को कैथी लिपि से सम्बन्धित प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया। आशा है कि श्री प्रीतम कुमार द्वारा लिखित कैथी लिपि-पाठ्यपुस्तिका के प्रकाशन से राज्य के विशेष सर्वेक्षण एवं बन्दोबस्त कार्यक्रम में संलग्न विशेष सर्वेक्षण कर्मी एवं राज्य के समस्त रैयत लाभन्वित होंगे। इस जटिल एवं महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए मैं श्री प्रीतम कुमार को धन्यवाद देती हूं।
‘पाठ्य पुस्तिका’ के लेखक को बधाईयों का तांता :
सुदूर ग्रामीण क्षेत्र विभूतिपुर के मिश्रौलिया गांव और यहां के निवासी ‘कैथी लिपि पाठ्य पुस्तिका’ के लेखक प्रीतम कुमार को राज्य स्तर में ऐसे प्रसंशनीय कार्य को लेकर ना सिर्फ लोगों में खुशी है बल्कि, उज्ज्वल भविष्य की कामना भी है। स्थानीय माकपा विधायक अजय कुमार, प्रखंड प्रमुख सुनीता देवी, उप प्रमुख सुजीत कुमार चौधरी, पूर्व प्रमुख रुपांजलि कुमारी, जिला पार्षद ममता कुमारी, भाजपा नेता अरविंद कुमार कुशवाहा, स्थानीय मुखिया वीणा देवी, सरपंच मंजू देवी, सेवानिवृत्त शिक्षक रामचंद्र महतो, रामनारायण सिंह, अनिल कुमार सिंह, जनसुराज नेत्री अविता कुमारी, चंदन कुमार, रामकृष्ण मुकेश समेत सैकड़ों लोगों ने बधाई दी है। साथ हीं इनके उज्जवल भविष्य की कामना की है।