BPSC ने प्रशांत किशोर से भ्रष्टाचार का सबूत मांगा, पीके को भेजा कानूनी नोटिस
बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर कानून पचड़े में फंस गए हैं। आयोग की ओर से उन्हें कानूनी नोटिस भेजा गया है। बीपीएससी की लीगल टीम ने प्रशांत किशोर के बयानों का हवाला देते हुए उन्हें यह नोटिस भेजा है। नोटिस मिलने के सात दिनों में भीतर पीके को जवाब देने को कहा गया है। ऐसा नहीं करने पर आयोग की टीम आगे की कार्रवाई करेगी।
आयोग के अधिवक्ता संजय सिंह की ओर से भेजे गए नोटिस में प्रशांत किशोर को 2, 3 और 6 जनवरी को बीपीएससी के खिलाफ यूट्यूब पर दिए गए उनके बयान को आधार बनाकर आरोपों के संबंध में साक्ष्य मांगा गया है। नोटिस में बीपीएससी की नौकरियों के लिए पैसे लिए जाने संबंधी उनके आरोपों का जिक्र करते हुए इसका आधार बताने को कहा गया है। सबूत नहीं दिए जाने पर उनके खिलाफ आयोग की ओर से कानूनी कार्रवाई की बात भी कही गई है।
प्रशांत किशोर के अलावा कई अन्य लोगों को भी नोटिस भेजा गया है। आयोग के सचिव सत्य प्रकाश शर्मा ने बताया कि अध्यक्ष के निर्देश पर लीगल टीम ने यह कार्रवाई की है। बता दें कि 13 दिसंबर को हुई बीपीएससी 70वीं प्रारंभिक सिविल सेवा परीक्षा में अनियमितता के आरोप लगाते हुए प्रशांत किशोर आंदोलन कर रहे हैं। वे 2 जनवरी से अनशन पर हैं। उन्होंने आरोप लगाए कि इस परीक्षा में 1000 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है, पदों को बेचा गया है।
पीके की जन सुराज पार्टी की ओर से इस संबंध में पटना हाई कोर्ट में रिट याचिका भी लगाई गई है। इस पर 15 जनवरी को सुनवाई होगी। याचिका में बीपीएससी परीक्षा में कथित धांधली की जांच की मांग करते हुए पुनः परीक्षा की मांग की गई है। साथ ही जांच होने तक एग्जाम का रिजल्ट जारी नहीं करने को कहा गया है।