एक्शन में ACS सिद्धार्थ, के के पाठक के फैसले को पलटा, DEO के भी अधिकार छीने, पावर हुआ कम
बिहार शिक्षा विभाग की ओर से बहुत बड़े फैसले लिये गए हैं. इनमें जिला शिक्षा पदाधिकारियों के वित्तीय अधिकार खत्म कर दिए गए हैं. वहीं, आउटसोर्सिंग स्टाफ (कर्मियों) की सेवा समाप्त करने का आदेश दे दिया गया है, जबकि सिविल वर्क करने की जिम्मेवारी अब स्कूल और निगम के जिम्में होगी. जाहिर तौर पर शिक्षा विभाग के ये बड़े फैसले हैं. कहा जा रहा है कि शिक्षा विभाग ने भ्रष्टाचार के आरोपों को खत्म करने के लिए ये फैसले लिए हैं. इस क्रम में शिक्षा विभाग के एसीएस एस सिद्धार्थ ने पूर्व के एसीएस केके पाठक के एक बड़े फैसले को पलट दिया है.
दरअसल, शिक्षा विभाग के नये फैसले के तहत जिला शिक्षा पदाधिकारी के अधिकारों में कटौती कर दी गई है. इसको लेकर एस सिद्धार्थ के लिए निर्णय के तहत अब 1 अप्रैल से जिला शिक्षा पदाधिकारी यानी डीईओ के पास कोई भी वित्तीय अधिकार नहीं होंगे. डीईओ अब किसी भी प्रकार का सिविल वर्क नहीं करवा पाएंगे. जिला शिक्षा पदाधिकारी के पास अब सिर्फ शैक्षणिक कार्य करने का की जिम्मेदारी होगी. सभी डीईओ और डीपीओ को ऐसे कार्यों से मुक्त कर दिया गया है.
शिक्षा विभाग के नए आदेश के अनुसार, 50000 रुपये तक के कार्य की राशि अब सीधे स्कूलों के खातों में भेजी जाएगी. हेड मास्टर सीधे विभाग को कार्य की राशि के लिए पत्र भेजेंगे और सिविल वर्क का काम सीधे निगम के माध्यम से कराया जाएगा. वहीं, आगामी 31 मार्च तक सभी प्रकार की आउटसोर्सिंग व्यवस्था भी समाप्त हो जाएगी. शिक्षा विभाग ने यह भी आदेश दिया है कि आउटसोर्सिंग स्टाफ टर्मिनेट कर दिए जाएंगे और डीपीएम से लेकर बीपीएम तक की सेवा समाप्त कर दी जाएगी.
बता दें कि एस सिद्धार्थ से पहले केके पाठक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव थे और उन्होंने आउटसोर्सिंग से इनको बहाल करवाया था. लेकिन, बाद के दौर में शिक्षा विभाग को डीईओ से लेकर डीपीएम बीपीएम तक की शिकायतें लगातार मिल रहीं थीं. शिक्षा विभाग ने भ्रष्टाचार और रिश्वत के आरोपी के तहत इसे खत्म करने का फैसला ले लिया है. साफ है कि भ्रष्टाचार और रिश्वत को रोकने के लिए एस सिद्धार्थ ने केके पाठक के आदेश को भी पलट दिया है.