बिहार को बाढ़ से बचाने का प्लान, केंद्र ने तीन परियोजनाओं को दी मंजूरी; लाखों लोगों को फायदा
दिल्ली में जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देबाश्री मुखर्जी की अध्यक्षता में हुई बैठक में बिहार की बाढ़ सुरक्षा से संबंधित तीन परियोजनाओं को मंजूरी दी है. नई दिल्ली तकनीकी सलाहकार समिति की 157वीं बैठक में बिहार की बाढ़ सुरक्षा की योजना को हरी झंडी दी गई है. बिहार के जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल और अभियंता प्रमुख (बाढ़ नियंत्रण एवं जल निस्सरण) मनोज रमण ने भाग लिया.
इन तीन योजनाओं को मिली मंजूरी:
बिहार की जिन तीन परियोजना को मंजूरी दी गई है, उसमें बागमती-शांति धार-बूढ़ी गंडक नदी जोड़ परियोजना, कमला बलान के दोनों तटबंधों के उच्चीकरण, सुदृढ़ीकरण एवं सड़क निर्माण की योजना का फेज-3 और चंपारण तटबंध के उच्चीकरण, सुदृढ़ीकरण एवं सड़क निर्माण (किमी 66.0 से किमी 132.80 तक) की योजना शामिल है. इन योजनाओं के क्रियान्वयन से जहां बड़े इलाके में बाढ़ से दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी, वहीं क्षेत्रवासियों को आवागमन के लिए एक वैकल्पिक मार्ग भी मिल जाएगा.
बाढ़ से सुरक्षा और सिंचाई की भी सुविधा:
जल संसाधन विभाग की बागमती बाढ़ प्रबंधन योजना के तहत सोरमारहाट-हायाघाट तटबंध के किमी 5.40 पर घोघराहा ग्राम से निःसृत शांति धार के माध्यम से बागमती नदी को शांति धार होते हुए त्रिमुहानी के निकट बूढ़ी गंडक नदी से जोड़ा जाना प्रस्तावित है. इसके लिए बागमती नदी और बूढ़ी गंडक नदी को जोड़ने वाली शांति धार को पुनर्जीवित किया जाएगा. इससे दरभंगा और समस्तीपुर जिले के बड़े इलाके में बागमती नदी की बाढ़ से सुरक्षा के साथ-साथ सिंचाई सुविधा भी मिलेगी.
तटबंधों की मजबूती के लिए होगा काम:
कमला बलान के दोनों तटबंधों के उच्चीकरण, सुदृढ़ीकरण एवं सड़क निर्माण की योजना के तीसरे फेज के कार्यान्वयन से मधुबनी जिले के जयनगर, खजौली, बाबूबरही, राजनगर और अंधराठाढ़ी, दरभंगा जिले के गौड़ा बौराम और कुशेश्वर स्थान पूर्वी, सहरसा जिले के महिसी एवं समस्तीपुर जिले के बिथान प्रखण्डों के करीब 144 गांवों की 8.60 लाख से अधिक आबादी को बाढ़ के दुष्प्रभावों से सुरक्षा मिलेगी. साथ ही बाढ़ अवधि में तटबंधों के निरीक्षण और कटाव निरोधक सामग्रियों के परिवहन में सुविधा होगी.
तटबंधों के रास्ते आवागमन आसान होगा:
चंपारण तटबंध के उच्चीकरण, सुदृढ़ीकरण एवं सड़क निर्माण किमी 66.0 से किमी 132.80 तक की योजना से पूर्वी और पश्चिमी चंपारण जिले में 8.50 लाख आबादी और 1.30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को बाढ़ से दीर्घकालिक सुरक्षा मिलेगी. साथ ही तटबंधों के रास्ते दोनों जिलों में आवागमन सुगम हो जाएगा.
उत्तर बिहार पर केंद्र की नजर:
केंद्र सरकार की ओर से बाढ़ प्रबंधन को लेकर लगातार पहल हो रही है. पिछले वित्तीय वर्ष में भी बाढ़ प्रबंधन को लेकर साढ़े हजार करोड़ की राशि की स्वीकृति दी गई थी. चुनावी साल में उत्तर बिहार के लोगों के लिए एक बड़ा तोहफा है. तकनीकी स्वीकृति मिलने के बाद अब इस पर काम आगे बढ़ेगी.