”6 साल की दुष्कर्म पीड़िता बच्ची को एक दिन में न्याय देने की मिली सजा”, SC में बिहार के चर्चित ADJ ने दी चुनौती
पटना हाई कोर्ट द्वारा निलंबित किए जाने की कार्यवाही को चुनौती देने वाले अररिया के जिला एवं सत्र न्यायाधीश शशिकांत राय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के तैयार हो गया। उनकी याचिका पर शीर्ष अदालत ने बिहार सरकार समेत अन्य को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा है। राय ने दावा किया है कि उनके साथ संस्थागत भेदभाव किया गया है क्योंकि उन्होंने छह वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म के पाक्सो के एक मामले में एक दिन में सुनवाई पूरी कर ली थी। इसके अलावा उन्होंने एक और मामले का हवाला दिया है जिसमें उन्होंने चार कार्यदिवसों में आरोपित को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी।
सुनवाई के दौरान जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एसआर भट की पीठ ने टिप्पणी की कि शीर्ष अदालत के ऐसे कई फैसले हैैं जिसमें उसने कहा है कि सुनवाई पूरी होने वाले दिन सजा नहीं सुनाई जानी चाहिए। जस्टिस ललित ने एक मामले की याद दिलाई जिसमें 9 दिन में एक व्यक्ति को सजा सुनाई गई थी और शीर्ष अदालत ने आदेश खारिज कर मामला नए सिरे से सुनवाई के लिए सत्र अदालत भेज दिया था।
शशिकांत की याचिका
शशिकांत राय ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्हें लगता है कि उनके खिलाफ एक संस्थागत पूर्वाग्रह है, क्योंकि उन्होंने छह साल की एक बच्ची से दुष्कर्म से जुड़े मामले में सुनवाई एक ही दिन में पूरी कर ली थी।
इसके अलावा उन्होंने एक अन्य मामले में आरोपी को चार दिन सुनवाई कर दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई थी।शशिकांत राय ने दावा किया कि ये खबरें मीडिया में व्यापक रूप से छाई रहीं। इन फैसलों के लिए सराकार और आम जनता की ओर से काफी सराहना भी मिली।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सुनवाई के अपनी टिप्पणी में कहा कि शीर्ष कोर्ट के कई फैसले हैं, जिनमें उसने कहा है कि सजा उसी दिन (सुनवाई पूरी करके) नहीं सुनाई जानी चाहिए। हमारे हिसाब से यह न्याय का उपहास होगा कि आप उस व्यक्ति (सजा पाने वाले) को पर्याप्त नोटिस, पर्याप्त अवसर तक नहीं दे रहे हैं जिसे अंतत: मौत की सजा मिलने वाली ही है। अररिया के अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश शशिकांत राय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह माले में पेश हुए।






