राजद प्रमुख लालू प्रसाद (RJD Supremo Lalu Prasad) को तेजस्वी यादव (Deputy CM Tejashwi Yadav) की पसंद की टीम बनाने के लिए नई और पुरानी पीढ़ियों में सामंजस्य बिठाना है। संतुलन बनाना है। लालू के माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण के साथ तेजस्वी के एटूजेड (सभी जातियों का प्रतिनिधित्व) के नारे का भी ख्याल करना है। पिछले विधानसभा चुनाव में राजद को सबसे ज्यादा सीटें मगध एवं पटना प्रमंडल में मिली थीं। राजद कोटे के मंत्रियों में उसका ध्यान रखना है एवं सीमांचल के गढ़ को भी बचाना है। एक साथ कई गुत्थियों, अड़चनों और उलझनों पर राजद का शीर्ष नेतृत्व मंथन कर रहा है।
लालू-तेजस्वी की पहली प्राथमिकता अपने वोट बैंक को बचाए-बनाए रख कर भाजपा के आधार वोट में सेंधमारी करने की है। राजद के वोट बैंक पर दशक भर से भाजपा की नजर है। कई बार सेंध लगाने की कोशिश भी की गई। आगे भी इन्कार नहीं किया जा सकता। इसलिए तेजस्वी अपने इस वोट बैंक को सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व देंगे।
इस वर्ग से भाई वीरेंद्र, ललित यादव और प्रो. चंद्रशेखर समेत कई नेता लाइन में है। तेजस्वी के करीबी विधायक भाई वीरेंद्र की अपनी पहचान है और ललित यादव दरभंगा ग्रामीण से लगातार जीतकर संभावनाओं में बने हुए हैं। सारण के रामानुज प्रसाद भी चार बार से लगातार जीतकर आगे चल रहे हैं। तेज प्रताप यादव की दावेदारी में तो कोई किंतु-परंतु है ही नहीं।
अवध बिहारी चौधरी स्पीकर बनने की दौड़ में हैं। अगर नहीं बन पाए तो मंत्री बनना तय है। दूसरी प्राथमिकता मुस्लिमों को मिल सकती है। अख्तरूल इस्लाम शाहीन का नाम सबसे आगे है। वह राजद के सभी 12 मुस्लिम विधायकों में सबसे ज्यादा तीन बार लगातार जीतकर आए हैं। दूसरा नाम सीमांचल से स्व. तस्लीमुद्दीन के पुत्र शाहनबाज का है। वेअसदुद्दीन ओवैसी की पार्टी छोड़कर हाल ही में राजद में आए चार विधायकों में एक हैं। इनकी सीमांचल में पकड़ है। नरकिटया से शमीम अहमद का नाम भी चल रहा है। राजद कम से कम दो मुस्लिमों को मंत्री बना सकता है।
राजद की दूसरी प्राथमिकता भाजपा के आधार वोट में सेंध लगाने की होगी। इसमें वैश्य समुदाय से समीर महासेठ और रणविजय साहू की दावेदारी है। लालू परिवार के समीर पुराने विश्वसनीय हैं। परंतु विधानसभा चुनाव में रणविजय का काम सब पर भारी रहा था। तारापुर और कुशेश्वरस्थान सीटों के उपचुनाव में राजद को भले ही हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन रणविजय की कामयाबी को इसलिए सराहना मिली कि वैश्य समुदाय के वोट में इन्होंने पहली बार राजद के पक्ष में कर दिया था।
राजद कोटे से तय नामों में आलोक मेहता सबसे ऊपर चल रहे हैं। उनका अनुभव और समर्पण प्रमाणित है। अति पिछड़े वर्ग में नोखा विधायक अनीता देवी, कुढ़नी के अनिल सहनी और भभुआ के भरत बिंद में से किसी दो पर दांव लगना तय माना जा रहा है। अनिल मल्लाह जाति से आते हैं। अनिता पहले भी मंत्री रह चुकी हैं। मसौढ़ी की रेखा पासवान और बोधगया के कुमार सर्वजीत में किसी एक बनाया जा सकता है। दोनों पासवान हैं। उपेंद्र वर्मा के पुत्र बागी कुमार वर्मा को भी तेजस्वी की टीम में जगह दी जा सकती है।
तेजस्वी के एटूजेड कोटे से विधान पार्षद सुनील कुमार सिंह का नाम सबसे ऊपर है। जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह भी दौड़ में हैं। इनमें से किसी एक ही मंत्री बनाया जा सकता है। राबड़ी देवी के करीबी होने के चलते सुनील की बढ़त बनी हुई है। इसी तरह भूमिहार वर्ग से कार्तिक कुमार या सौरव सिंह और ब्राह्मण वर्ग से राहुल तिवारी या बच्चा पांडेय में किसी एक की किस्मत चमक सकती है।
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