बिहार: चौकीदार बाबू को दारोगा बनने का चढ़ा शौक.. वर्दी पहनी.. पिस्टल खोंसा.. चढ़ाया काला चश्मा, अब हो सकती है कार्रवाई
शौक को पूरा करने के लिए इंसान नफा और नुकसान के बीच फर्क नहीं करता है। यह बात नालंदा में सच साबित होते हुए दिखी। दरअसल नालंदा के एक चौकीदार की तस्वीर सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रही है। जिसमें उसने दारोगा की वर्दी पहनी है। वर्दी में दो स्टार और कमर में पिस्टल के साथ तस्वीर वायरल होने से चौकीदार की मुश्किलें बढ़ गई है। वर्दी के साथ काला चश्मा पहने हुए चौकीदार का नाम सुमित पासवान (छोटू) है । तस्वीर वायरल होने के बाद सुमित की मुश्किलें बढ़ गई है। मामले की जांच के बाद कार्रवाई भी हो सकती है।
तस्वीर वायरल होने के बाद बढ़ी मुश्किलें
वायरल तस्वीर में दारोगा की वर्दी पहने हुए चौकीदार हिलसा थाना में पदस्थापित है। चौकीदार सुमित की वर्दी में तस्वीर वायरल होने के बाद तरह-तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। क्रिच में वर्दी, सिर पर टोपी लगाकर सुमित के फोटो खिचवाने का क्या मक्सद था। शौक में फोट खिंचवाया था वर्दी का धौंस दिखाकर अवैध वसूली तो नहीं कर रहा था। वायरल तस्वीर देखने के बाद डीएसपी कृष्ण मुरारी प्रसाद ने कहा कि चौकीदार की दारोगा की वर्दी में तस्वीर पर संज्ञान लिया गया है। मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।
सिर्फ फोटो खिंचाना मकसद या फिर कुछ और :
तस्वीर देखने से यह प्रतीत हो रहा है, कि चौकीदार किसी पदाधिकारी के साथ ड्यूटी में गया था। वहीं, पर नकली दारोगा बनने का ट्रायल किया है। खैर बात कुछ भी हो, तस्वीर अपने आप में कई तरह के सवाल खड़ा कर रहा है। क्या चौकीदार ने फोटो खिंचवाने के लिए यह हरकत किया या फिर दारोगा के भेष में धौंस दिखाना और वसूली करना आदत है? फिलहाल यह तो जांच का विषय है।
हाल ही में बांका से सामने आया था फर्जी थाना का मामला
बिहार के बांक जिले से हाल ही में एक फर्जी थाना संचालित होने का मामला सामने आया था। जहां पिछले 8 महीने से फर्जी थाना संचालित किया जा रहा था। इतना ही नहीं आपराधिक मामले में मुकदमा दर्ज कराने का डर दिखाकर लोगों से पैसे भी ऐंठे जा रहे थे। ग़ौरतलब है कि बांका जिला मुख्यालय चल रहे फर्जी थाना की किसी को खबर ही नहीं थी। निजी गेस्ट हाउस में यह थाना संचालित किया जा रहा था। पुलिस को जब इस मामले की जानकारी हुई तो आला अधिकारी के भी होश उड़ गए। इतने महीने से फर्जी थाना संचालिच होने के बावजूद किसी को खबर कैसे नहीं हुई।