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चीफ जस्टिस बनकर फोन पर धौंस जमाता तो DGP सर-सर बोलने लगते, 40-50 कॉल के बाद भी सच्चाई नहीं समझ पाये

IPS अफसर आदित्य कुमार को बचाने के लिए पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल बनकर DGP को फोन करने वाले मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। अभिषेक अग्रवाल DGP एसके सिंघल को वाट्सऐप कॉल करता। डीजीपी फोन उठाते ही उसे सर-सर बोलते थे। इस दौरान अभिषेक अग्रवाल ने डीजीपी को 40 से 50 बार कॉल किया, लेकिन उन्हें पता तक नहीं चला।

इस मामले को लेकर पुलिस मुख्यालय एडीजे जेएस गंगवार के शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। एडीजे के अनुसार मामला ठगी और धोखाधड़ी का है। डीजीपी की तरफ ईओयू को सूचना दी गई थी, इस पर 5 सदस्यीय टीम बनाई गई। कई तरह की जांच अलग-अलग यूनिट के मध्यम से चल रही है। सिम मोबाइल शॉप पर काम करने वाले 17 साल के लड़के के नाम पर लिए गए थे। उसके लिए 5000 रुपए चुकाए थे।

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डीजीपी पर नाराज होकर देता था धौंस

दरअसल, अभिषेक अपने ऊंचे रसूख का हवाला देकर लोगों को अपने झांसे में लेता था। अक्सर बड़ी गाड़ियों में चलने वाला अभिषेक अपने आपको बिहार के टॉप मोस्ट आईएएस और आईपीएस अधिकारियों का करीबी बताता था। नकली चीफ जस्टिस संजय करोल बनकर डीजीपी को भड़काता था। यहां तक कि डीजीपी अक्सर उसे सर-सर कहते थे। पूछताछ में अभिषेक ने बताया कि कई बार उसने डीजीपी पर नाराज होकर धौंस दिखाया था। उसके बाद अवैध शराब के मामले में डीजीपी ने आईपीएस अफसर आदित्य कुमार क्लीनचिट दिया गया था।

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अभिषेक अपनी पहुंच बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद तक भी बताता था और कहता था कि वह उनके पड़ोसी हैं। आर्थिक अपराध इकाई ने जब इस मामले की जांच शुरू की तो उसमें एक दिलचस्प कहानी सामने आई कि जिस नंबर से अभिषेक ने डीजीपी को फोन किया था, वह नंबर एक नौकर का है।

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मैट्रिक पास 17 साल के लड़के से खुली पूरी कहानी: 

राहुल कुमार पटना के दीवान मोहल्ला झाऊगंज का रहने वाला है। 7 साल पहले उसके पिता शत्रुघ्न ठाकुर को लकवा मार गया था। राहुल की मां मोहल्ले में ही लोगों के घर चौका बर्तन करती थी। चुंकि, राहुल की उम्र 17 साल है और उसने हाल में ही मैट्रिक की परीक्षा पास की है तो, उसने भी अपने घर को चलाने के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा के सीएसपी का काम करने लगा। राहुल पार्ट टाइम में मुर्गन कम्युनिकेशन मोबाइल की दुकान पर भी काम कर रहा था।

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एक दिन अचानक राहुल के मोबाइल पर बिहार के आर्थिक अपराध इकाई के तरफ से फोन आया और उससे पूछा गया कि क्या वह राहुल है, तो उसने बताया हां। उसके बाद अपराध इकाई के लोग लोगों ने राहुल से पूछताछ की तो पता चला राहुल के नाम पर दो मोबाइल सिम निर्गत है और उसका इस्तेमाल कहीं और हो रहा है। राहुल की हालत उस समय और खराब हो गई, जब उसे पता चला कि उसके मोबाइल सिम से बिहार के डीजीपी को फोन गया था। वह भी पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बन कर।

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राहुल ने आर्थिक अपराध इकाई के अधिकारियों के सामने परत दर परत कहानी को सामने रख दिया। राहुल ने बताया कि गौरव राज के दुकान पर पार्ट टाइम नौकरी करता था। अगस्त के महीने में गौरव ने उसके आधार कार्ड को लिंक करके उसके अंगूठा का निशान लिया, लेकिन सिम नहीं दिया। गौरव ने राहुल को बताया कि सिम एक्टिवेट नहीं हो सका है। राहुल ने EOU के अधिकारियों के सामने यह कहा कि उसके साथ यह दो-तीन बार गौरव ने ऐसा किया है।

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EOU की टीम राहुल को लेकर गौरव के पास पहुंची। गौरव ने एक-दूसरे मित्र शुभम का नाम बताया और उसने कहा की 5000 के एवज में उसने दो सिम शुभम को दिए हैं। आर्थिक अपराध इकाई की टीम राहुल और गौरव को लेकर शुभम के पास पहुंची तो, शुभम ने बताया कि वह रमेश जायसवाल के मोबाइल की दुकान बोरिंग रोड में काम करता है और रमेश जायसवाल ने उससे सिम की मांग की थी और उसने शुभम से सिम की मांग की थी। शुभम ने गौरव राज से सिम मांगा था। गौरव ने राहुल के आधार का गलत इस्तेमाल करके सिम निकाला था।

राहुल रंजन जायसवाल के पास जब आर्थिक अपराध इकाई की टीम पहुंची तो राहुल रंजन जायसवाल ने बताया कि अभिषेक अग्रवाल उसके नियमित ग्राहक हैं और समय-समय पर वह आकर मोबाइल लेते रहते हैं। उन्होंने ही दो सिम के साथ दो मोबाइल देने को बोला था। उन्होंने यह भी कहा था कि सिम किसी और व्यक्ति के नाम से निकलवा कर दे देना। एक सीनियर पुलिस अधिकारी को देना है, यह वही पुलिस ऑफिसर हैं जो मेरे साथ तुम्हारी दुकान पर मोबाइल लेने आते रहते हैं। राहुल ने बताया कि नियमित ग्राहक जानकर उसने मोबाइल और सिम उन्हें दे दिए थे।

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अभिषेक ने माना – IPS को बचाने के लिए रचा षड्यंत्र

अब इन पांचों को लेकर आर्थिक अपराध इकाई की टीम पटना के बोरिंग रोड नागेश्वर कॉलोनी के निलय अपार्टमेंट में रहने वाले अभिषेक अग्रवाल के पास पहुंची। पहले तो अभिषेक अग्रवाल ने आनाकानी किया।। उसके बाद जब आर्थिक अपराध इकाई की टीम ने सख्ती दिखाई तो अभिषेक टूट गया। उसने बताया कि आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार उसके अभिन्न मित्रों में से हैं। उनको बचाने के लिए ही उसने यह पूरा षड्यंत्र रचा था।

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