जानें वो वजह, जिसने नगर निकाय चुनाव पर लगवा दी रोक, पढें HC के ऑर्डर की एक-एक मुख्य बातें
बिहार नगर निकाय चुनाव 2022 पर फिलहाल पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. पटना हाईकोर्ट ने बिहार के स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्गों को आरक्षण दिए जाने के मामले पर बड़ा फैसला सुनाया है. इसको लेकर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने 86 पन्नों का निर्णय को देते हुए कहा कि “चुनाव आयोग को एक स्वायत्त और स्वतंत्र निकाय के रूप में कार्य करना, न की बिहार सरकार के हुक्म से बंध कर.”
कोर्ट की ओर से यह कहा गया है कि राज्य निर्वाचन आयोग अति पिछड़ों के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य घोषित कर चुनावी प्रक्रिया को फिर से शुरू कर सकता है. इस फैसले के साथ ही 10 और 20 अक्टूबर को होने वाली नगरपालिका चुनाव पर फिलहाल रोक लग गई है. खबर लिखे जाने तक राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से इस संबंध में कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया था.
ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया अनिवार्य
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह कहा कि जब तक राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया को पूरा नहीं कर लेती तब तक अति पिछड़ों के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य माना जाएगा. अति पिछ़ड़ों को आरक्षण देने से पहले हर हाल मे ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया अनिवार्य है.
कोर्ट ने यह भी कहा है राज्य निर्वाचन आयोग या तो अति पिछड़ों के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य करार देकर चुनावी प्रक्रिया आगे बढ़ाए या फिर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ट्रिपल टेस्ट करा कर नए सिरे से आरक्षण का प्रावधान बनाए. बता दें कि स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण दिए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में फैसला सुनाया था. उस फैसेल के अनुसार स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती है जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती. सुनील कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी. इसी मामले में सुनवाई चल रही थी. पटना हाई कोर्ट ने इस मामले पर 29 अक्टूबर को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था. आज मंगलवार को फैसला आया है.