बगहा में 9 इंसानों की जान लेने वाले आदमखोर बाघ को मार गिराया गया है। उसकी 26 दिन से तलाश हो रही थी। शनिवार को उसे गोवर्धन थाना इलाके के बलुआ गांव के खेत में घेरा गया। इसके बाद शूटर्स ने उसे 4 गोलियां मारीं। अब बड़ा सवाल है कि बाघ की डेड बॉडी का क्या किया जाएगा। आदमखोर बाघों के लिए एनटीसीए ने एसओपी जारी किया है।
आदमखोर बाघ की मौत के बाद उसका नामोनिशान मिटा दिया जाता है। इसके लिए जो एसओपी बनाई गई है, उसमें बाघ का पहले पोस्टमॉर्टम कराया जाता है। इसके बाद पंचनामा की कार्रवाई होती है। फिर उसे अफसरों की मौजूदगी में जलाया जाता है। आग के हवाले तब तक किया जाता है जब तक उसका पूरा नामोनिशान नहीं मिट जाता है। पोस्टमॉर्टम के लिए पूरी टीम गठित की जाती है। इसके अलावा फील्ड निदेशक की उपस्थिति या एक प्राधिकृत अधिकारी जो उप वन संरक्षक के पद से नीचे का न हो उसकी मौजूदगी में ही अंतिम संस्कार किया जाता है।
शव को जलाने की होगी वीडियोग्राफी
बाघ के शव को जलाने के दौरान पूरी वीडियोग्राफी कराई जाती है। इस दौरान सामाजिक संस्था का प्रतिनिधित्व करने वालों को भी रखा जाता है। फोटोग्राफ और वीडियोग्राफी के साथ साइट छोड़ने से पहले यह सुनिश्चित करना होता है कि बाघ की हड्डियां सहित शव पूरी तरह से जल चुका है। बाघ के शव को जलने के बाद निपटान पर एक ‘पंचनामा (मेमो) तैयार किया जाता है। इस पर पोस्टमॉर्टम करने वाली टीम और प्रभारी अधिकारी द्वारा विधिवत हस्ताक्षर किया जाता है। इसके बाद एक अंतिम रिपोर्ट को NTCA को सूचित करते हुए सहायक तस्वीरों के साथ भेजा जाता है।
शव को जब्त करने के बाद जांच
बाघ के शव को जब्त करने के बाद उसकी पूरी तरह से जांच की जाती है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि वह बाघ वही है जो मानव जीवन के लिए खतरा बना था। शरीर के अंगों की जब्ती के बाद एनटीसीए द्वारा जारी एसओपी का पालन किया जाता है।
9 की जान ले चुका बगहा का बाघ मारा गया:26 दिन से हो रही थी तलाश, खेत में घेरकर शूटर्स ने मारीं 4 गोलियां
बाघ के पैरों के निशाना के बाद एक्सपर्ट की टीम को यह यकीन हो गया कि वो गन्ने के खेत में छिपा है। इसके बाद उस खेत की चारों ओर से जाल के माध्यम से घेराबंदी की गई। इसके बाद राइफल से लैस टीम हाथी पर सवार होकर गन्ने के खेत के अंदर गई। वहां पहुंचते ही बाघ पर टीम की नजर गई और उस पर फायरिंग की गई। टीम ने बाघ को 4 गोली मारी। इसमें से दो गोली उसे लगी और बाघ ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
पिता के डर से जंगल में नहीं जाता था आदमखोर
इसके बाद यह बाघ हड़नाटांड, चिउटाहा में गन्ने के खेतों के साथ-साथ VTR डिवीजन के राघिया और गोबरधना वन रेंज में लगातार मूवमेंट कर रहा है। हालांकि, इसने कई दफा जंगल में जाना चाहा, लेकिन पिता के डर से अंदर नहीं गया। इसके बाद बाहर ही भोजन की तलाश करने लगा। इसी दरमियान आदमी को पहला शिकार बनाया। इसके बाद एक के बाद एक आदमी का शिकार शुरू कर दिया।
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