लंबे समय तक के लिए टल सकता है नगर निकाय चुनाव, बिहार सरकार आरक्षण के बिना नहीं कराएगी इलेक्शन
बिहार नगर निकाय चुनाव पर रोक के बाद अब बड़ा अपडेट इसमें सामने आया है. हाइकोर्ट से लगी रोक के बाद लोग इस अस्मंजस में थे कि अब आगे क्या होगा. आगामी 10 अक्टूबर और 20 अक्टूबर को मतदान की तिथि तय कर दी गयी थी. मतदान के ठीक 5 दिन पहले ही चुनाव पर रोक लगा दी गयी. लेकिन अब बिहार सरकार की ओर से बड़े संकेत सामने आ गये हैं जिसमें इन तमाम कयासों के जवाब छिपे हो सकते हैं.
पटना हाइकोर्ट ने आरक्षण पर उठाये सवाल
बिहार नगर निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर बिहार सरकार ने जो फैसला लिया था उसपर पटना हाइकोर्ट ने आपत्ति जतायी और मंगलवार को एक अहम सुनवाई के दौरान उसे अवैध करार दे दिया. जिसके बाद निर्वाचन आयोग ने चुनाव कार्यक्रम को कैंसिल कर दिया. अब ये बिहार सरकार के पास दो ऑप्शन बचे थे. जिसमें या तो सरकार आरक्षित किये सीटों को सामान्य मानकर चुनाव कराए या फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत ट्रिपल टेस्ट कराए.
सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार
बिहार सरकार अभी आरक्षित सीटों को सामान्य मानकर चुनाव करा लेने के मूड में नहीं दिख रही है. जदयू के मंत्री व कद्दावर नेता विजय चौधरी के बयान से कुछ ऐसा ही प्रतित होता है. दरअसल, मंत्री विजय चौधरी ने साफ शब्दों में कहा है कि पटना हाईकोर्ट के फैसले से सरकार संतुष्ट नहीं है और इस फैसले को चुनौती देने के लिए बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की सरकार अतिपिछड़ों को लेकर सजग है और उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारे पक्ष में आएगा.
आरक्षण के साथ ही चुनाव के मूड में सरकार
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी इस मामले में प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि ये विभाग भाजपा के पास रहा है और भाजपा शुरू से आरक्षण विरोधी है. तेजस्वी यादव ने कहा कि पिछड़े समाज के आरक्षण के साथ ही चुनाव होना चाहिए. बता दें कि सरकार की ओर से आए इन बयानों से ये तय लग रहा है कि सरकार पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करेगी. इस दौरान चुनाव अब नजदीक के समय में मुश्किल लग रहा है.