नीतीश सरकार को हाईकोर्ट का झटका: 2021 में किए गए नगर पालिका एक्ट का संशोधन रद्द, HC ने बताया असंवैधानिक
पटना हाईकोर्ट से आज नीतीश सरकार को एक और बड़ा झटका लगा है. पटना हाईकोर्ट ने आज नीतीश सरकार द्वारा पारित किये गये बिहार नगरपालिका एक्ट (संशोधन) एक्ट 2021 को असंवैधानिक करार देते हुए उसे रद्द कर दिया है. चीफ जस्टिस संजय करोल की बेंच ने आज इस मामले में अपना फैसला सुनाया है.
नगर निकाय ही करेंगे कर्मचारियों की नियुक्ति
बता दें कि नीतीश सरकार ने 2021 में बिहार नगरपालिका एक्ट लागू किया था. इसमें 2007 के नगर पालिका एक्ट की धारा 36,37, 38 और 41 में संशोधन किया गया था. इन संशोधनों के जरिये राज्य सरकार ने बिहार के नगर निकायों में ग्रुप डी और ग्रुप सी की कर्मचारियों की नियुक्ति से लेकर उनके तबादले का काम अपने जिम्मे ले लिया था. उससे पहले नगर निकाय खुद कर्मचारियों की नियुक्ति कर रहे थे.
सरकार के इस विधेयक के खिलाफ आशीष कुमार सिन्हा समेत अन्य ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर किया था. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया है कि ग्रुप सी और ग्रुप डी के कर्मचारियों की नियुक्ति का अधिकार नगर निकायों को ही रहेगा. हाईकोर्ट ने 2021 में पारित किये गये नगरपालिका संशोधन एक्ट को रद्द करते हुए 2007 के नगरपालिका एक्ट को पूरी तरह से लागू करने का फैसला सुनाया है.
बिहार सरकार ने असंवैधानिक फैसला लिया
हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि बिहार सरकार ने 2021 में नगरपालिका एक्ट जो संशोधन किया है वह संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है. राज्य सरकार ने मनमाने तरीके से फैसला लिया. नगर निकायों को संवैधानिक तौर पर कई अधिकार प्राप्त हैं. अगर वे अपने कर्मचारियों के लिए राज्य सरकार पर निर्भर हो जायेंगे तो उनकी स्वतंत्रता कमजोर होगी. ऐसे में अपने कर्मचारियों की नियुक्ति का अधिकार नगर निकायों के पास ही रहना चाहिये.