भले ही नीतीश सरकार बिहार में शराबबंदी कानून को प्रभावी बनाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. सरकार और प्रशासन द्वारा लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है. शराब पीने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है. लेकिन, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जिन सरकारी मुलाजिमों को शराब नहीं पीने की शपथ दिलाई गई थी, वहीं सरकारी अधिकारी और कर्मचारी शराबबंदी कानून की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं. यह सब कुछ राजधानी पटना में हो रहा है. दरअसल पटना में गुरुवार को पटना नगर निगम के 2 इंस्पेक्टर समेत 4 कर्मचारियों को शराब पार्टी करते गिरफ्तार किया गया है.
मिली जानकारी के अनुसार राजधानी के जक्कनपुर थाना इलाके में पटना नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा दिनदहाड़े शराब पार्टी मनाई जा रही थी. ये वही लोग हैं जिन्हें राज्य सरकार द्वारा कुछ महीने पहले ही शराब नहीं छूने और कभी नहीं पीने की शपथ दिलाई गयी थी. लेकिन, आज दोपहर में 4 निगमकर्मी एक साथ बैठकर जाम से जाम टकराते दिखे. इसी बीच पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी और सभी को रंगे हाथ पकड़ लिया. मौके से शराब की खाली बोतल भी बरामद की गई है.
दिन में 11 बजे के बाद ही शुरू कर दी थी शराब पार्टी
मिली जानकारी के अनुसार जिन 4 लोगों को रंगे हाथ पकड़ा गया है, उनमें से दो लोग पटना नगर निगम के सफाई इंस्पेक्टर हैं. इनमें एक का नाम उमेश पासवान तो दूसरे का मदन मोहन है. जबकि बाकी दो लोग सफाई कर्मचारी हैं. इनका नाम अनिल कुमार और अवधेश कुमार है. दरअसल, सभी लोग पटना नगर निगम के वार्ड नंबर 17 के तहत पुरंदरपुर के सामुदायिक भवन में एक साथ जाम छलका रहे थे. बताया जाता है कि सभी कर्मचारियों ने दिन में 11 बजे के बाद से ही शराब पार्टी शुरू कर दी थी. इसी बीच जक्कनपुर थाना को इसकी सूचना मिली, जिसके बाद पुलिस तत्काल मौके पर पहुंची और सभी को पकड़ लिया गया.
इंस्पेक्टर पहले भी जा चुके हैं जेल
पुलिस की माने तो पकड़े जाने के बाद एक-एक कर सभी का ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट किया गया, जिसमें इनके शराब पीने की पुष्टि हुई है. एफ़आईआर दर्ज करने कब बाद सभी को कोर्ट में मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया. इलाके की लोगों की मानें तो यह दूसरा मौका है जब सफाई इंस्पेक्टर उमेश पासवान शराब पीने के मामले में गिरफ्तार किया गया है. वह इससे पहले भी जेल जा चुके हैं. इलाके के लोगों का आरोप है कि पकड़े गए दोनों ही सफाई इंस्पेक्टर के खिलाफ काम-काज को लेकर स्थानीय लोगों द्वारा काफी शिकायतें की गई हैं. कई बार इनके खिलाफ कामकाज को लेकर नगर निगम मुख्यालय में मामला दर्ज कराया गया है. लेकिन ऊपरी पहुंच के कारण इन पर कार्रवाई नहीं हो सकी है.
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