जहानाबाद के जिला जज की शनिवार को लगाई गई लोक अदालत में दरियादिली देखने को मिली है। जज राकेश कुमार सिंह ने आज कोर्ट में कुछ ऐसा किया कि लोगों के बीच यह चर्चा का विषय बन गया। दरअसल लोक अदालत में जिला जज राकेश कुमार सिंह बैंक के कर्ज के एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। सुनवाई के दौरान जिस गरीब बुजुर्ग ब्राह्मण पर कर्ज था, वो फफक कर रो पड़ा। गरीब ब्राह्मण ने जज साहब से कहा- ‘साहब! बेटी की शादी से काफी कर्ज में डूबा हूं। मेरे पास इतने रुपये नहीं है कि इन बैंकवालों का पूरा कर्जा चुका सकूं।’ रोते हुए ब्राह्मण की पूरी बात सुन जज साहब की दिल पसीज गया। इसके बाद उन्होंने अपनी जेब से ब्राह्मण का कर्जा चुकाने में मदद की।
18 साल पहले बुजुर्ग ब्राह्मण ने लिया था बैंक से कर्ज
कोर्ट में आए बुजुर्ग ब्राह्मण राजेंद्र तिवारी ने लगभग 18 साल पहले बैंक से कर्ज लिया था। तब से बैंक के लोन की ब्याज दो दे देते थे लेकिन पूरा कर्जा नहीं चुका पा रहे थे। बाद में बैंक को कर्जे की ब्याज भी देना बंद कर दिया। इस पर बैंक ने नोटिस भेजा लेकिन बुजुर्ग ने कोई जवाब नहीं दिया। बुजुर्ग कर्ज नहीं लौटा रहा था। बैंक की ओर से बार-बार उस बुजुर्ग को नोटिस भेजा जा रहा था। फिर मामला कोर्ट में पहुंच गया।
कर्ज के चुकाने थे 18 हजार रुपये
बुजुर्ग राजेंद्र तिवारी को लोन को लेकर समझौते के लिए नोटिस भेजा गया और लोक अदालत में शामिल होने का निर्देश दिया गया। बुजुर्ग जैसे ही लोक अदालत में ऋण समझौता के लिए पहुंच गया। सुनवाई के दौरान बैंक की ओर से आए वकील ने समझौते के रूप में 18 हजार रुपये की डिमांड कर दी। बुजुर्ग ने कहा कि ‘मैं बेटी के शादी में काफी कर्ज में डूबा हुआ हूं। इसलिए मेरे पास देने के लिए सिर्फ 5 हजार रुपये हैं। इससे ज्यादा मैं नहीं दे सकता हूं।’
जज साहब को आई दया, जेब ने निकाल दे दिए 10 हजार रुपये
इतना कह कर बुजुर्ग फफक-फफक कर रोने लगा। मामले की सुनवाई कर रहे जज राकेश कुमार ने बुजुर्ग ब्राह्मण राजेंद्र तिवारी की हालत देखी तो दया आ गई। उन्होंने उन्होंने बैंक अधिकारियों से कहा कि इस बुजुर्ग का कर्ज मैं अपनी जेब से दे रहा हूं। जज साहब ने अपनी जेब से 10 हजार रुपये निकाले और बैंक अधिकारियों को दे दिए। जैसे ही इस बात का पता अदालत परिसर में मौजूद लोगों को लगा, पूरे न्यायालय परिसर में जज साहब की प्रशंसा होनी शुरू हो गई।
ऐसे चुक गया गरीब ब्राह्मण का पूरा कर्जा
बात में कोर्ट से बाहर निकले ब्राह्मण राजेंद्र तिवारी ने बताया कि ‘हमने बेटी की शादी के लिए कर्जा लिया था। इसका 18 हजार रुपये बाकी था। आज जज साहब ने मेरी मदद की तो कर्जा चुक गया। जज साहब ने 10 हजार रुपये दिए। मेरे साथ आए लड़के ने तीन हजार और मैंने 5 हजार रुपये दिए।’
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