जानी दुश्मन बने दोस्त, पप्पू यादव से गले मिले आनंद मोहन, कभी बंदूक से लड़ते थे राजनीतिक लड़ाई
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कभी थे एक-दूसरे के जानी दुश्मन, बीस साल बाद जिगरी दोस्त जैसे मिले। पूर्व सांसद और राजपूतों के बड़े नेता रहे आनंद मोहन की बेटी की सगाई के समारोह में पप्पू यादव से गले मिले आनंद मोहन। कभी दोनों की बंदूक वाली राजनीतिक लड़ाई से हिलता था बिहार। ये दोनों एक दूसरे से लड़ते हुए सियासी तौर पर बड़े बने। एक फॉरवर्ड यानी अगड़ों का तो दूसरा बैकवार्ड यानी पिछड़ों का नेता बना।
दोनों ने एक दूसरे की जान लेने की भी कई बार कोशिश की। दोनों की दुश्मनी उस जमाने की सबसे बड़ी और तगड़ी लड़ाई थी। जिसमें राजनीति और बंदूक दोनों साथ चल रहे थे। वाकया 1990 के दशक का है। सीमांचल और कोसी के सात जिलों समेत पूरे बिहार में दोनों नेता सियासी पैर जमाने में जुटे हुए थे। दोनों नेता अगड़े और पिछड़े के मसीहा बनने की कोशिश में जुटे रहे। एक समय में दोनों के बीच इनकाउंटर भी खूब चर्चा में रही।
उस दौर में नौजवानों के बीच आनंद मोहन और पप्पू यादव का बहुत क्रेज था। आनंद मोहन की सवर्ण जातियों में पूछ बढ़ रही थी तो पप्पू यादव पिछड़ों और खासकर यादवों के बीच पॉपुलर हो रहे थे। दोनों ने रॉबिनहुड की छवि बनाई। दोनों नेताओं का काफिला कितना लंबा है, चर्चा उस समय इस बात की भी होती थी।
आनंद मोहन ने 1995 में बिहार पीपुल्स पार्टी का गठन कर विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ा। पप्पू यादव भी लालू यादव से अलग हुए तो मुलायम सिंह यादव की अगुवाई में बिहार में समाजवादी पार्टी के झंडे तले सियासी ताकत को बढ़ाने में जुटे रहे। बाद में पप्पू यादव ने अपनी पार्टी बना ली। आजकल जाप उनकी पार्टी है जो लड़ तो रही है लगातार पर चुनावी जीत नहीं मिल रही।
आज दोनों का परिवार राजनीति में सेट है
आनंद मोहन : आनंद मोहन खुद शिवहर से सांसद रहे। पत्नी लवली आनंद भी सांसद रहीं। अब उनके बेटे चेतन आनंद विधायक हैं। आनंद मोहन अभी पेरोल पर जेल से बाहर आए हैं।
पप्पू यादव : पप्पू यादव पूर्णिया के अलावा मधेपुरा से भी सांसद रहे। उनकी पत्नी रंजीत रंजन कांग्रेस में हैं और बिहार से लोक सभा सांसद रहने के बाद अभी राज्यसभा सांसद हैं।