बिहार में दाखिल-खारिज की नई टाइमलाइन तय होगी, नीतीश सरकार कर रही सख्ती की तैयारी
बिहार में दाखिल-खारिज, राजस्व एवं भूमि से संबंधित अन्य काम पूरे करने को लेकर नीतीश सरकार सख्त हो गई है। अब इसके लिए न केवल नए सिरे से टाइमलाइन तय होगी बल्कि उसका अनुपालन भी सुनिश्चित किया जाएगा। संबंधित अधिकारियों को निश्चित अवधि में आवेदनों को निपटाना ही होगा। इसके लिए उनके ऊपर जिम्मेवारी तय होगी। ऐसा न करने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पिछले दिनों सरकार ने थोड़ी सख्ती दिखलाई तो एक अंचल अधिकारी ने एक साथ 4200 मामले निष्पादित कर दिए, जिसमें 3600 को तो अस्वीकृत कर दिया। इससे नई तरह की परेशानी खड़ी हो गई। ऐसे में सरकार ने इस मामले को व्यवस्थित ढंग से लागू करने और कारण बताने को अनिवार्य करने का फैसला लिया है। अब दाखिल-खारिज लंबित रखना गुनाह होगा।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इस दिशा में पहल भी शुरू कर दी है। इसके तहत अंचल अधिकारी समेत तमाम अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी होगा, जिसमें उन्हें नई समय सीमा तय की जाएगी, उसका हर हाल में पालन करना होगा। फिलहाल इसके लिए अभी अविवादित मामलों में 35 दिन जबकि अन्य में जांच कर 75 दिनों में मामले का निष्पादन करने की अवधि तय है। लेकिन, इसके बाद भी अधिसंख्य अंचलों में मामले लंबित पड़े हैं। कई मामले तो कई-कई महीने से यूं ही पड़े हैं। इनका निष्पादन नहीं हो पाया है। सरकार इस समय सीमा में संशोधन करने पर भी विचार कर रही है।
सरकार के सख्त तेवर
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता ने बताया कि दाखिल-खारिज समेत अन्य कार्यों को हर हाल में तय समय के अंदर निष्पादित करना होगा। इसमें किसी प्रकार की कोताही सरकार स्वीकार नहीं करेगी। यदि जानबूझकर गड़बड़ी की गई या फिर आम लोगों को परेशान किया गया तो निश्चित रूप से अधिकारियों-कर्मियों पर कार्रवाई होगी।
मंत्री आलोक मेहता ने बेहतर कार्य करने वाले अधिकारियों-कर्मियों को सम्मानित करने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि विभाग अवधि तय करने और उसमें मामले के निष्पादन को व्यावहारिक भी बनाएगी। इसके तहत किसी मामले को यदि अस्वीकृत किया जाएगा तो उसका ठोस कारण बताना होगा। फिर भविष्य में बगैर किसी बदलाव के सीओ उस मामले को मंजूर नहीं कर पाएंगे। अस्वीकृत मामले को लेकर फिर से आवेदन करने पर उसे मंजूर करने के पहले यह देखा जाएगा कि वह उसी पुराने फार्मेट में तो नहीं।