बिहार: एक बेटा मुस्लिम और दूसरा हिंदू, मां के अंतिम संस्कार के लिए भिड़े दोनों भाई,एक बोला-जलाएंगे…दूसरा बोला-दफनाएंगे
बिहार के लखीसराय में एक मां के अंतिम संस्कार के लिए 2 बेटों में जबरदस्त लड़ाई हो गई। बड़े बेटे ने कहा, मां को मुस्लिम धर्म के अनुसार दफनाना चाहिए। वहीं दूसरे बेटा हिंदू रीति-रिवाज के मुताबिक मां के अंतिम संस्कार पर अड़ गया। दरअसल रेखा खातून (60) ने राजेंद्र पंडित से दूसरी शादी की थी। शादी के बाद वह रेखा खातून से रेखा देवी बन गईं, लेकिन पहली शादी से उनकी एक संतान थी, जो मुस्लिम है। इसीलिए दोनों बेटों में मां के अंतिम संस्कार को लेकर ठन गई। हालांकि बाद में पुलिस की मौजूदगी में दस्तावेजों के आधार पर मां का हिंदू परंपरा के अनुसार ही अंतिम संस्कार कराया।
यह मामला चानन थाना क्षेत्र के जानकीडीह इलाके का है। मंगलवार को रेखा देवी की लंबी बीमारी के बाद मौत हो गई थी। रेखा का एक बेटा बबलू हिंदू है, वहीं दूसरा बेटा मुस्लिम मोहम्मद मोखील है। ऐसे में एक बेटा अपनी मां का अंतिम संस्कार करना चाहता था, तो वहीं दूसरा मां को दफनाने की इच्छा जता रहा था।
मामले को तूल पकड़ता देख ग्रामीणों ने इस बात की सूचना पुलिस को दी। सूचना मिलते ही लखीसराय के एएसपी सैयद इमरान मसूद पुलिस दल के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए। पुलिस ने दोनों को समझा-बुझाकर आपसी सहमति से अंतिम संस्कार कराने की सलाह दी।
दोनों बेटों से पूछताछ के दौरान पुलिस ने पाया कि वोटर आईडी कार्ड में महिला रेखा खातून का नाम रेखा देवी के नाम से दर्ज है। पुलिस ने दस्तावेज के आधार पर तय किया कि बुजुर्ग महिला का हिंदू होने की वजह से हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया जाना ही सही रहेगा।
पुलिस के इस फैसले के बाद मोहम्मद मोखील ने बताया कि मुझे मेरी मां का शव नहीं मिला, मैं अपने तरीके से उनका क्रिया कर्म करना चाहता था। वहीं दूसरा बेटे बबलू ने हिंदू रीति रिवाज के साथ मां का अंतिम संस्कार किया।
जानकारी के अनुसार लखीसराय जिले के जानकी डी निवासी राजेंद्र पंडित ने 40 साल पूर्व एक मुस्लिम महिला रेखा खातून से शादी की थी। राजेंद्र पंडित की पहली पत्नी का देहांत हो गया था और रेखा भी पूर्व से एक बच्चे की मां थी। राजेंद्र से रेखा की शादी के बाद वह अपने बेटे मोहम्मद मोखिल को अपने साथ रखने लगी।
रेखा और राजेंद्र की शादी के बाद दो बच्चे हुए। एक का नाम बबलू पंडित और बेटी का नाम नजमा खातून रखा गया। बबलू पंडित पूजा पाठ कर कर जिंदगी जी रहे हैं, वहीं नजमा खातून सब्जी बेचकर गुजारा कर रही है।