कुढ़नी का रिजल्ट तय करेगा बिहार की राजनीति की अगली दिशा, महागठबंधन और BJP के लिए क्यों अहम उपचुनाव
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कुढ़नी विधानसभा सीट पर गुरुवार को आ रहे उपचुनाव के नतीजे बिहार की राजनीति की अगली दिशा तय करेगा। नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के महागठबंधन के अलावा बीजेपी के लिए भी यह चुनाव बहुत अहम है। दोनों ही खेमों के लिए यह प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। इसे बिहार में आगामी आम चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। दूसरी ओर, मुजफ्फरपुर जिले की कुढ़नी उपचुनाव के लिए बने मतगणना स्थल आरडीएस कॉलेज में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। मतगणना के दौरान वाहनों की आवाजाही पर भी आंशिक प्रतिबंध लगाया गया है।
कुढ़नी उपचुनाव के नतीजे की उत्सुकता सभी में है। चुनाव मैदान में पसीना बहाने वाले प्रत्याशियों की नींद तो उड़ी ही हुई है, विभिन्न राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं का भविष्य भी नतीजे पर टिका हुआ है। मैराथन चुनाव अभियान चलाने के बाद सभी परिणाम के इंतजार में हैं। सफलता मिली तो पार्टी हाईकमान से शाबाशी और असफल हुए तो परिणाम उलटा भी निकल सकता है। उधर, आम लोग भी चुनाव परिणाम पर नजर गड़ाए हुए हैं। लोगों को लगता है कि यह चुनाव परिणाम समूचे बिहार की राजनीति की अगली दिशा तय करने वाला है।
बड़े नेताओं ने चुनाव प्रचार में झोंकी ताकत
कुढ़नी में उपचुनाव के लिए 5 दिसंबर को वोटिंग हुई। इससे दो दिन पहले तक जेडीयू और बीजेपी समेत अन्य पार्टियों के उम्मीदवारों ने पूरी ताकत झोंकी थी। महागठबंधन प्रत्याशी जेडीयू के मनोज कुशवाहा के चुनाव प्रचार के लिए खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मैदान में उतरे। डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव समेत महागठबंधन के सभी बड़े नेताओं ने रैलियां की।
वहीं, बीजेपी प्रत्याशी केदार गुप्ता को जिताने के लिए भी पार्टी के सभी बड़े नेताओं ने खूब मेहनत की। यहां तक कि एनडीए में शामिल दलों के नेता भी प्रचार में जुटे। केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने कुढ़नी में विभिन्न जगहों पर जनसभा की। लोजपा (रामविलास) के मुखिया चिराग पासवान और एक्टर रवि किशन भी प्रचार करते हुए नजर आए।
क्यों अहम है कुढ़नी चुनाव?
यह चुनाव बीजेपी और महागठबंधन दोनों के लिए नाक का सवाल बना हुआ है। जेडीयू जीतती है तो इसे नीतीश के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार पर जनता की मुहर माना जाएगा। अगर बीजेपी बाजी मारती है, तो इसे पार्टी का उत्साह बढ़ेगा और नीतीश सरकार के खिलाफ और मुखर होकर आने वाले चुनाव लड़ेगी। महागठबंधन और एनडीए दोनों ही गठबंधनों के नेताओं की साख दाव पर लगी है।