बिहार: शराब माफिया को बचाने में फंसे इस जिले के सदर SDPO, कोर्ट ने पकड़ा, DIG ने की जांच
गोपालगंज के सदर एसडीपीओ शराब माफिया को बचाने के लिए अपने पद और शक्ति का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। यह कोर्ट का कहना है। यह आरोप लगाने के पहले कोर्ट ने सारे साक्ष्य को वरीय पदाधिकारियों को बंद लिफाफे में भेजा है। कोर्ट ने कहा कि इसकी जांच कर एक माह के अंदर कोर्ट में प्रस्तुत करें। जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जा सके। प्रभारी मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र ने इनकी इस करतूत को मद्य निषेध विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक, बिहार के मुख्य सचिव तथा डीजीपी को भी भेजा है। इधर, मामले की गंभीरता को देखते हुए सारण के डीआईजी पी कन्नन इसकी जांच के लिए शनिवार को गोपालगंज पहुंचे।
जानकारी के अनुसार, गोपालगंज के फुलवरिया में बाइक से शराब तस्करी करते पुलिस ने अशोक चौधरी को गिरफ्तार किया था। थाने में इस मामले में जो केस दर्ज किया गया उसमें अशोक चौधरी को तो आरोपी बना दिया गया मगर जिस बाइक से शराब मिली उसे थानेदार ने चोरी का बता दिया। दो महीने बाद फिर एसडीपीओ संजीव कुमार के आदेश पर सदर थाने के दारेगा हृदयानंद राम ने बाइक चोरी की एक एफआईआर दर्ज की।
जिसमें बताया गया कि सब्जी खरीदने के दौरान बाइक की चोरी चार महीने पहले हो गई थी। चौंकाने वाली बात यह थी इस मामले में भी जेल में बंद तस्कर अशोक चौधरी को ही पुलिस ने अभियुक्त बनाया और रिमांड पर लिया। पुलिस ने जब अशोक चौधरी को कोर्ट में पेश किया तब पूरे मामले का खुलासा हुआ।
दरअसल, दारोगा हृदयानंद राम ने जो एफआईआर लिखी उसमें उन्होंने कहा कि उन्हें एसडीपीओ संजीव कुमार ने अपने ज्ञापांक 717 दिनांक 25.03.2022 के माध्यम से तस्करी में इस्तेमाल बाइक, जिसे फुलवरिया थाना कांड – 40 / 2022 में जब्त किया जा चुका था, की चोरी का मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने पुलिस से पूछा कि जब दो महीने पहले ही अशोक को गिरफ्तार किया जा चुका था और वह कस्टडी में था तब फिर दो महीने बाद उसकी गिरफ्तारी फिर से और उसी बाइक, जो पहले ही चोरी की बताकर पुलिस ने बरामद कर ली थी, एफआईआर क्यों की गई।






