बिहार के बेगूसराय के साहेबपुर कमाल में बूढ़ी गंडक नदी पर बना पुल बीच से टूट गया है। रविवार सुबह पुल टूटकर पानी में समा गया है। 9 सालों से इस पुल का काम चल रहा था। इस पुल का अभी उद्घाटन भी नहीं हुआ था। 14 करोड़ की लागत से इसे बनाया गया था।
2 दिन पहले गुरुवार को इसके पिलर नंबर 2-3 के बीच दरार देखी गई थी। इसके बाद से इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई थी। और रविवार को ये टूटकर नदी में समा गया।
पुल के धंसने और गार्डर में दरार की सूचना मिलते ही बलिया एसडीओ रोहित कुमार, एसडीपीओ कुमार वीर धीरेन्द्र, सीओ सतीश कुमार सिंह, सीआई अखिलेश राम एवं स्थानीय थाना की पुलिस दल-बल के साथ पहुंच स्थिति का जायजा लेने पहुंचे थे। तुरंत पुल के दोनों तरफ चौकीदार की तैनाती करने के साथ ही पुल के दोनों तरफ बैरिकेडिंग कर सभी तरह के वाहनों के परिचालन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई थी।
स्थानीय लोगों का मानना है कि इसे संयोग कहें कि अबतक इस पर किसी भारी वाहन का परिचालन शुरू नहीं किया जा सका है। वर्ना किसी बड़ी घटना से इनकार नहीं किया जा सकता था। रहुआ पंचायत के मुखिया सुबोध कुमार सिंह उर्फ मुन्ना सिंह ने बताया कि आहोक घाट सहित विष्णुपुर आहोक, रजौड़ा, गोविंदपुर, खांरदियारा आदि गांव के लोगों के लंबे समय से उठ रहे मांग के बाद साल 2012-13 में इस गंडक नदी पर पुल निर्माण को लेकर स्वीकृति मिली थी। जिसके निर्माण का जिम्मा मां भगवती कंस्ट्रक्शन को मिला था।
इंजीनियर की विशेष टीम बुलाई गई थी
पुल की जांच के लिए शनिवार को इंजीनियर की विशेष टीम भी बुलाई गई थी। बावजूद पुल को बचाया नहीं जा सका। आपको जानकर हैरानी होगी कि महज 5 साल पहले यह पुल बनकर तैयार हुआ था। मां भगवती कंस्ट्रक्शन बेगूसराय ने 1343.32 लाख की लागत से 23 फरवरी 2016 से निर्माण कार्य शुरू किया था। और महज 1 साल बाद 22 अगस्त 2017 को यह पुल बनकर तैयार हो गया। और आज 5 साल बाद यह पुल टूट कर दो हिस्सों में बंट चुका है।
20000 लोग होंगे प्रभावित
यह पुल टूट जाने के कारण इलाके के 20,000 से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे। खासकर, किसान लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि मवेशियों का चारा के लिए यह पुल काफी कारगर साबित हो रहा था। वही, इसका खामियाजा अब यहां के छात्र-छात्राओं और बीमार पीड़ित लोगों को भी भुगतना पड़ेगा।
पुल बनने के बाद भी वाहनों के आवागमन पर थी रोक
स्थानीय लोगों का कहना है कि गंडक नदी पर यह पुल बनने के बावजूद भी वाहनों के आवागमन पर रोक थी। यह मार्ग अवरुद्ध रहने के कारण यहां के लोगों को मुख्य मार्ग NH-31 तक पहुंचने के लिए एकमात्र बांध मार्ग से ताड़ तर, उमेश नगर के रास्ते नन्हकू मंडल टोला तक लंबा और घुमावदार सफर तय करना पड़ता था। सुलभ सड़क नहीं रहने के कारण यहां तक कोई सवारी गाड़ी भी नहीं चलती थी।
मालूम हो की काफी लंबे समय से उठ रही मांग के बाद साल 2012-13 में तत्कालीन विधायक सह बिहार सरकार के समाज कल्याण मंत्री परवीन अमानुल्लाह की पहल पर बूढ़ी गंडक नदी पर इस पुल के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई जो बनकर तैयार था है।
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