‘आनंद मोहन की रिहाई’ के लगे नारे तो बोले सीएम,- चिंता मत करो, उनकी पत्नी से पूछ लो कि हम क्या कोशिश कर रहे
क्षत्रिय समाज के लोगों की ओर से राष्ट्ररत्न महाराणा प्रताप की स्मृति में चल रहे राष्ट्रीय शौर्य दिवस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाहुबली पूर्व सांसद और राजपूत नेता आनंद मोहन की रिहाई के साफ संकेत दिए। जेल में बंद आनंद मोहन की रिहाई के लिए मुख्यमंत्री के मंच पर आते भी नारेबाजी हुई और संबोधन शुरू करते समय भी। इसके बाद मुख्यमंत्री ने कहा- “शांत रहो। उनकी पत्नी से पूछ लीजिएगा कि हम क्या कोशिश कर रहे हैं। चुप रहो। इन सबकी चिंता मत करो। राजनीति में वह जो भी करें…जब उनकी गिरफ्तारी हुई थी तो जार्ज साहब के साथ हमलोग गए थे मिलने के लिए। हमलोग लगे हुए हैं जी। शांत रहो। यह सब बोलने की जरूरत नहीं। नहीं तो कहेंगे कि मांग कर रहे थे यह सब किया।” आनंद मोहन की रिहाई के लिए नारेबाजी कर रहे लोग नीतीश के इस बयान के बाद खुशी से उछलने लगे।
आनंद मोहन की रिहाई का क्रेडिट रखेगा मायने
पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई से ज्यादा इसके क्रेडिट की मारामारी है। पिछले करीब सात-आठ महीने से बार-बार यह बात उठती है कि आनंद मोहन रिहा होने वाले हैं, लेकिन हो नहीं पा रहा। जब भाजपा से निकल कर महागठबंधन के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सरकार बनाई तो दो-तीन बार ऐसे मौके आए। आनंद मोहन की रिहाई से भाजपा के गढ़ मिथिलांचल और राज्य में पार्टी के आधार वोटरों में से राजपूत वोटरों पर प्रभाव पड़ेगा।
सोमवार को मुख्यमंत्री ने जिस तरह से मंच पर खुलकर बोल दिया, उससे साफ है कि आनंद मोहन की रिहाई के साथ ही इसका क्रेडिट जनता दल यूनाईटेड के खाते में चला जाएगा। इसका असर पूरे बिहार में जदयू के सामने खड़ी होने वाली पार्टी पर पड़ेगा। बिहार की कुल सवर्ण आबादी में ब्राह्मणों के बाद और 5 प्रतिशत से ज्यादा राजपूतों की आबादी मानी जाती है। इनकी आबादी भूमिहारों से भी ज्यादा मानी जाती है।
राजपूतों के मामले में अभी महागठबंधन आगे
अगड़े और पढ़े-लिखे होने के आधार पर राजपूतों को भाजपा अपना अहम आधार वोट भले मानती है, लेकिन फिलहाल इस पार्टी ने बिहार में इस जाति के नेताओं को हाशिये पर रखा है। इसके दोनों अहम चेहरे राजीव प्रताप रूडी और राधा मोहन सिंह केंद्र में मंत्री की कुर्सी से मुक्त रखे गए हैं। दूसरी तरफ राज्य में सत्तारूढ़ महागठबंधन की देखें तो राजपूत युवाओं के बीच सबसे चर्चित चेहरे आनंद मोहन के परिवार को राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के परिवार से सहयोग मिल रहा था तो जदयू की ओर से मुख्यमंत्री ने खुलकर सहयोग देने की बात कर दी। राजद के प्रभुनाथ सिंह जेल में हैं तो जगदानंद सिंह राजद के प्रदेश अध्यक्ष ही हैं। दिवंगत पूर्व सांसद रघुवंश प्रसाद सिंह अंतिम कुछ दिनों की छोड़ दें तो लालू के सबसे करीबी रहे। जहां तक जदयू का सवाल है तो उसने दिवंगत पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के बेटे सुमित कुमार सिंह को मंत्रिमंडल में जगह देकर अपने साथ कर रखा है।