लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की जुगलबंदी को मात देने के लिए पूरी रणनीति तैयार कर ली है। पार्टी ने बिहार की कमजोर सीटों की लिस्ट बनाकर उनपर खास तैयारी शुरू कर दी है। बीजेपी ने बिहार की 12 लोकसभा सीटों को कमजोर श्रेणी में रखा है, इनमें किशनगंज, वैशाली, झंझारपुर समेत अन्य शामिल हैं। इसके अलावा पार्टी की बिहार की कुल 22 लोकसभा सीटों पर विशेष तैयारी रहेगी। नीतीश कुमार के महागठबंधन में जाने के बाद बीजेपी के लिए इन सीटों पर समीकरण बिगड़ गए हैं।
नीतीश के आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों से हाथ मिलाने के बाद बीजेपी ने 2024 आम चुनाव में राज्य की 40 में से 35 सीटें जीतने का लक्ष्य बनाया। इसके लिए केंद्रीय नेताओं से लेकर प्रदेश कार्यकारिणी तक ने तैयारियां शुरू कर दी है। हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने वैशाली से चुनावी शंखनाद किया। इससे पहले भी गृह मंत्री अमित शाह सीमांचल में पार्टी की जमीन मजबूत करने के लिए रैली कर चुके हैं। इस साल बीजेपी के बड़े नेताओं के राज्य में कई बार दौरे होंगे।
दरअसल, देश भर में बीजेपी ने 160 लोकसभा सीटों को चिह्नित किया है, जिनपर पार्टी का कमजोर प्रदर्शन रहा है या रहने की उम्मीद है। इनमें बिहार की 10 लोकसभा सीटें भी शामिल हैं। बीजेपी ने बिहार की किशनगंज, नवादा, गया, झंझारपुर, कटिहार, मुंगेर, पूर्णिया, वैशाली, वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट को कमजोर श्रेणी में रखा है। इसके अलावा गोपालगंज और काराकाट को भी इसी कैटगरी में माना जा रहा है। इन सीटों पर या तो बीजेपी पहले हार चुकी है, या फिर महागठबंधन के मजबूत होने से समीकरण बिगड़ गए हैं।
हालांकि, नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के साथ आने के बाद बीजेपी के लिए और मुश्किल खड़ी हो गई है। सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरणों को देखते हुए बीजेपी ने इनके साथ कुल 22 सीटों की लिस्ट बनाई है, जिनपर खास तैयारी की जाएगी। बीजेपी के पास अभी 17 सीटें हैं, उनपर वापस जितना भी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती होगी।
बीजेपी ने कमजोर लोकसभा सीटों पर पार्टी को मजबूत करने के लिए खास रणनीति तैयार की है। इसके लिए हर सीट पर 7 विस्तारक को लगाया गया है। इनमें से एक पूरी सीट का प्रभारी है, जबकि 6 अन्य विस्तारक संबंधित लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटों पर काम करेंगे। इसके अलावा पार्टी ने बूथ लेवल पर पन्ना प्रमुखों को जनता के बीच जाकर मोदी सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं के बारे में बताने का काम दिया है। बूथ से लेकर मंडल स्तर तक जिम्मेदारियां सौंपी गई है। ये पदाधिकारी और कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर फीडबैक भी लेंगे और उसे पार्टी आलाकमान तक पहुंचाएंगे।
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