जनतंत्र की धरती वैशाली से शुरू हुई महापरिवर्तन पदयात्रा, लोगों को दी गई राइट टू रिजेक्ट, राइट टू रेफेरेंडम, राइट टू प्रोपोज की जानकारी
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विश्व की पहली जनतंत्र की धरती वैशाली से 26 जनवरी को तीन मांग को लेकर महापरिवर्तन पदयात्रा की शुरुआत हुई। इसकी शुरुआत जय सिंह राजपूत, प्रियंका मिश्रा, संजय चंद्राकर और पूजा मिश्रा ने अपने समर्थकों के साथ लिच्छिवी गणराज्य की राजधानी वैशाली से राजा विशाल द्वारा बनाया गया विश्व के पहले संसद पर ध्वजारोहण के उपरांत किया। पहले दिन की यात्रा के दौरान 21 किलोमीटर तक पैदल चलकर सफर तय किया गया।
इस दौरान जगह-जगह लोगों को इकट्ठा कर तीन कानून की जानकारी देते हुए जागरूक किया। साथ ही कानून को लेकर बताया कि जो जनता का, जनता के द्वारा और जनता के लिए पर आधारित है, और जो लोकतंत्र की परिभाषा को परिपूर्ण करता है और जिससे भारतीय लोकतंत्र अधिक स्पष्ट और मजबूत बनेगा। हमारी मांग में राइट टू रिजेक्ट (जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारीयों के ऊपर), राइट टू रेफेरेंडम (किसी भी कानून को लागू करने से पूर्व), राइट टू प्रोपोज अमेंडमेंट (किसी भी कानून में अपनी बातों को रखने का अधिकार) शामिल है।
साथ ही लोगों को बताया गया कि किस तरह से इन कानूनों के लागू होने पर भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। इस यात्रा में सैंकड़ों लोगों का समर्थन मिला। पदयात्रा में शामिल दल के लोगों ने वैशाली में राजद के दिबंगत नेता रघुवंश बाबू को श्रद्धांजलि भी दिया। वहीं उनके लड़के सत्यप्रकाश सिंह ने भी कहा की यह कानून जनहित में है और सरकार को इसे लागू करना चाहिए। उन्होंने इस पदयात्रा में सहयोग देने का भी विश्वास जताया।
बताते चलें कि पदयात्रा बिहार के वैशाली, झारखण्ड, ओडिसा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा से होते हुए 2000 किलोमीटर की यात्रा करते हुए दिल्ली के जंतर मंतर पर जाकर समाप्त होगी। सभी लोग पदयात्रा को दिल्ली तक लेकर जाएंगे और रास्ते में लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए जन कानून को लागू करवाने की मांग रखते हुए लोगों को जागरुक भी करेंगे।