‘बिहार से खत्म होगी बाढ़ी की स्थिति’…पटना हाई कोर्ट के फैसले पर बोले मंत्री संजय झा
पटना हाईकोर्ट ने कोसी विकास प्राधिकरण के गठन के साथ ही समयबद्ध तरीके से उत्तर बिहार में बाढ़ की सदियों पुरानी समस्या के समाधान के उपायों और संसाधनों की पहचान करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक कोसी विकास प्राधिकरण में बिहार सरकार, भारत सरकार, नेपाल सरकार एवं अन्य हितधारकों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इसको समयबद्ध तरीके से बाढ़ से संबंधित जटिल मुद्दों को हल करने के लिए काम करना होगा। कोर्ट ने कहा है कि बाढ़ से होने वाली तबाही के संकट को समाप्त करने के लिए मिलकर काम करें।
दरअसल, पिछले दिनों पटना हाईकोर्ट में इस संबंध में एक मामला दायर किया गया था। अरविंद कुमार बनाम अन्य (केन्द्र व राज्य सरकार के संबंधित 10 महकमे) मामले में छह प्रमुख परियोजनाओं को लेकर कोर्ट का ध्यान आकृष्ट कराया गया था। इन परियोजनाओं में बहुउद्देशीय कोसी हाई डैम को लेकर 1991 में नेपाल सरकार से हुए समझौते, कोसी-मेची नदी जोड़ योजना, सनकोसी परियोजना, कमला-बागमती परियोजना, पाठक कमेटी की रिपोर्ट और सिल्ट की समस्या शामिल थी। पटना उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने इस पर अपना निर्देश जारी किया। कोर्ट ने इन परियोजनाओं पर सरकार से 13 मार्च को अद्यतन स्थिति कोर्ट में पेश करने की भी ताकीद की है।
पांच प्रमुख फायदे
1. इस क्षेत्र में लगातार आने वाली बाढ़ से स्थायी निजात
2. हर साल होने वाली जानमाल की क्षति से मुक्ति मिलेगी
3. साल-दर-साल विस्थापन की त्रासदी से राहत संभव
4. राहत-बचाव पर खर्च होने वाली करोड़ों की राशि बचेगी
5. विकास की दूरगामी नीति बनाने में मदद मिल पाएगी
फंडिंग फॉर्मूला तैयार करने का भी कोर्ट ने दिया निर्देश
पटना हाईकोर्ट ने बिहार के संसाधनों के निरंतर हो रहे नुकसान को ध्यान में रखते हुए एक फंडिंग फॉर्मूला तैयार करने के लिए भी कहा है। वित्त पोषण के संबंध में, केंद्र सरकार ने 60 30 10, अर्थात 60 प्रतिशत केंद्रीय अनुदान, 30 प्रतिशत केंद्रीय ऋण और 10 प्रतिशत राज्य की हिस्सेदारी का सुझाव दिया है। इसका विवरण रिकॉर्ड में रखा गया है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि इस फंडिंग फार्मूला को केंद्र सरकार के साथ मिलकर अंतिम रूप दिया जाए, ताकि भविष्य की गतिविधियों को सुव्यवस्थित किया जा सके। फंडिंग के मुद्दे को हल करने के बाद, कोसी और मेची को जोड़ने के लिए समयबद्ध कदम उठाए जा सकते हैं।
ऐतिहासिक फैसलाः संजय झा
जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि संजय करोल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने न केवल लाखों लोगों की आकांक्षाओं को पूरा किया है, बल्कि सभी हितधारकों के लिए एक ठोस फ्रेमवर्क भी प्रदान किया है। हाईकोर्ट का फैसला प्रभावी होने पर कोसी की 2008 जैसी विनाशकारी बाढ़ इतिहास की बात हो जाएगी।
मंत्री संजय झा ने कहा कि यह फैसला उतना ही ऐतिहासिक है, जितना 2002 में सुप्रीम कोर्ट का नदियों को जोड़ने का फैसला, जिसने बार-बार आने वाली बाढ़ और सूखे की समस्या के समाधान के लिए मार्ग प्रशस्त किया। यह ऐसा निर्णय है, जो सात दशक से बरती जा रही उदासीनता को हमेशा के लिए ठीक कर देगा। उत्तर बिहार में कोसी की बाढ़ से तबाही सदियों से एक बड़ी समस्या बनी हुई है। पिछले सात दशकों में इसने जान-माल का भारी नुकसान किया है, बड़ी आबादी के लिए हर साल परेशानियां खड़ी की है और खजाने पर भारी दबाव डाला है।