बिहार: ‘न नॉन वेज खाती हूं, न धूम्रपान…मनुस्मृति जलाकर सिगरेट पीने-चिकन पकाने वाली प्रिया दास ने बताया क्यों किया ऐसा
मनुस्मृति जलाकर सिगरेट जलाने वाली और चिकन पकाने वाली लड़की का बयान सामने आया है। मनुस्मृति जलाने वाली प्रिया दास बिहार के शेखपुरा की रहने वाली हैं। जब से इसका वीडियो वायरल हुआ तब सोशल मीडिया पर हंगामा मचा है। यूजर इसको लेकर तरह-तरह के कमेंट कर रहे हैं। इसके बाद इंडिया टुडे ने प्रिया दास से बात की है।
कौन हैं प्रिया दास
बिहार के शेखपुरा की प्रिया 27 साल की हैं। प्रिया पढ़ाई कर रही हैं और टीचर बनने की कोशिश में हैं। बताया जा रहा है प्रिया ने CTET पास कर लिया है और पीएचडी की पढ़ाई कर रही हैं। वो राजनीति में भी एक्टिव हैं। प्रिया लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी से जुड़ी हैं। पार्टी में वो महिला प्रकोष्ठ में प्रदेश सचिव हैं।
मनुस्मृति क्यों जलाई?
प्रिया दास ने बताया कि उन्होंने करीब 500 रुपये में मनुस्मृति खरीदी थी। उन्होंने बताया मनुस्मृति में ये लिखा है कि अगर महिला मदिरापान करती है तो उसे कई प्रकार के दंड दिए जा सकते हैं। साथ ही न्याय करने से पहले संबंधित लोगों की जाति पता लगाने की बात लिखी गई है।
‘मैं न नॉनवेज खाती हूं, न सिगरेट पीती हूं’
ट्विटर पर मनुस्मृति जलाकर सिगरेट पीने और चिकन पकाने के वीडियो को अब तक कई लाख लोगों ने देखा है। सैकड़ों लोगों ने मनुस्मृति जलाने को गलत बताया है। हालांकि, बहुत ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने प्रिया के सिगरेट पीने और चिकन पकाने का भी विरोध किया है। इंडिया टुडे से बातचीत में प्रिया दास ने कहा कि मैं न नॉनवेज खाती हूं, न सिगरेट पीती हूं। उन्होंने कहा कि सिर्फ विरोध दर्ज कराने के लिए वीडियो में चिकन पकाया था और मनुस्मृति को जलाकर जलाई।
‘मनुस्मृति को जलाना पाखंडवाद और ढोंग के विचारों पर वार करना’
खुद को दलित एक्टिविस्ट कहने वाली प्रिया दास एक वीडियो में कहती हैं कि मनुस्मृति जलाना तो एक एक्शन है, एक तात्कालिक घटना है। इसको जलाने की नींव बहुत पहले बाबासाहेब ने रख दी थी। मनुस्मृति को जलाने का मकसद किसी व्यक्ति के प्रति नहीं है, बल्कि यह घटिया, पाखंडवाद और ढोंग के विचारों पर वार करना है। यही मेरा मकसद था। प्रिया दास ने कहा कि यह तो बस शुरुआत है। ऐसी किताब को तो अस्तित्वविहीन कर देना है। यह किताब कहीं से भी सही नहीं है। किसी भी किताब से व्यक्ति को ज्ञान मिलता है, लेकिन, यह किताब ऊंच-नीच, भेदभाव और लोगों को बांटने का काम करती है। ऐसे में इस तरह की किताब का तो विरोध होना ही चाहिए।
‘बाबासाहेब ने भी मनुस्मृति जलाई थी’
प्रिया दास ने कहा कि इस किताब में इंसान और महिलाओं को लेकर कई ऐसी चीजें बताई गई हैं, जो कहीं से भी उचित नहीं हैं। इस किताब का तो एक-एक पन्ना जल जाना चाहिए। प्रिया ने कहा कि दलित लोगों को आगे आना चाहिए और इस तरह की किताब का विरोध करना चाहिए। प्रिया ने इस दौरान यह भी दावा किया समाज में जितनी भी कुरीति व्याप्त हैं, उसकी जड़ के पीछे मनुस्मृति है। चाहें वह महिलाओं से संबंधित हो या शादी के रीति-रिवाज से जुड़ी हुई हों। वह कहती हैं कि बाबासाहेब ने भी मनुस्मृति जलाई थी।