पटना मेट्रो के संचालन में स्वच्छ ऊर्जा के इस्तेमाल का पूरा ध्यान रखा जा रहा है. मेट्रो स्टेशनों की छत पर पैदा होने वाले सौर ऊर्जा का जगमग होंगे. बताया जा रहा है कि पटना मेट्रो पारंपरिक ऊर्जा के श्रोतों पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए कुछ चुनिंदा स्टेशनों और मैटेनेंस डिपो की छतों पर सोलर एनर्जी पैनल से जुड़े ग्रिड स्थापित करने का फैसला किया है. मेट्रो ने भविष्य में पड़ने वाली ऊर्जा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया है. गौरतलब है कि पूरे पटना में मेट्रो का निर्माण कार्य काफी तेजी से चल रहा है. साथ ही, इसके निर्माण में अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल का भी ख्याल रखा जा रहा है.
6.5 मेगावॉट बिजली का होगा प्रोडक्शन
बिहार की राजधानी पटना में बन रहे मेट्रो के स्टेशन लगने वाले सोलर पैनल हर दिन करीब 6.5 मेगावॉट बिजली पैदा करेंगी. मेट्रो स्टेशन और विभिन्न भवनों से ज्यादा से ज्यादा सौर ऊर्जा का उत्पादन हो इसके लिए सोलर फोटो वोल्टाइक (एस पी वी) स्थापीत की जाएगी. पटना में बन रहे मेट्रो स्टेशन में जमीन के ऊपर हर स्टेशन पर 200-300KW ऊर्जा की जरूरत होगी. जबकि, जमीन के अंदर के मेट्रो स्टेशनों पर कम से कम 1500kw-2000kW एनर्जी की आवश्यकता होगी. मेट्रो स्टेशनों पर सौर ऊर्जा से सेवाओं, जैसे लिफ्ट संचालन, प्रकाश व्यवस्था, सिग्नलिंग और दूरसंचार, अग्निशमन प्रणाली, किराया संग्रह प्रणाली, आदि के लिए किया जा सकेगा.
पटना मेट्रो के द्वारा मेट्रो स्टेशनों पर सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से कार्बन फुटप्रिंट कम करने और भविष्य में लगातार ऊर्जा आपूर्ति बनाए रखने में बड़ी मदद मिलेगी. इस फैसले से भारत सरकार के 2030 तक नवीकरणीय एनर्जी स्रोतों से 50 प्रतिशत संचित विद्युत् ऊर्जा और 2070 तक ज़ीरो कार्बन एमिशन के लक्ष्य को प्राप्त करने में बड़ी मदद मिलेगी.
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