इफ्तार के बाद बदल सकता है बिहार का सियासी समीकरण!, JDU ने चिराग को दिया महागठबंधन में आने का ऑफर
बिहार में सियासत की इफ्तार पार्टी होती है और इफ्तार में जमकर सियासत भी की जाती है। आरजेडी की इफ्तार पार्टी में चिराग पासवान के शामिल होने पर राजनीति शुरू हो गई है। जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने चिराग को महागठबंधन में आने का ऑफर दिया है। केसी त्यागी ने कहा है कि इफ्तार पार्टी में चिराग पासवान आए यह बहुत सुखद पल था। अगर संभावना बनती है तो चिराग पासवान का महागठबंधन में स्वागत है।
जेडीयू के सीनियर लीडर केसी त्यागी ने एक न्यूज़ चैनल से बातचीत में कहा कि नीतीश कुमार, लालू यादव, रामविलास पासवान, शरद यादव, हम सब लोग एक ही परिवार के सदस्य रहे हैं। लगभग 40 साल तक हम लोगों ने इकट्ठे काम किया है। रामविलास जी हमारे बीच नहीं रहे तो चिराग पासवान उनके विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। केसी त्यागी ने कहा कि मुझे बहुत प्रसन्नता होगी यदि नीतीश कुमार के नेतृत्व में चल रहे महागठबंधन में चिराग पासवान शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव इसमें पहले से हैं, चिराग पासवान के आने से और अच्छा होगा। वह इफ्तार पार्टी में आए, यह उनका बहुत स्वागत योग्य कदम है।
रामविलास पासवान के जमाने को याद करते हुए केसी त्यागी ने कहा कि दिल्ली में सबसे बढ़िया और व्यवस्थित इफ्तार पार्टी का आयोजन चिराग पासवान के पिता रामविलास पासवान करते थे उसमें समाजवादी परिवार के सभी नेता शामिल होते थे। अगर उसी परिवार में, जिसे जनता परिवार कहा जाता है, चिराग पासवान शामिल होते हैं तो यह बहुत सुखद क्षण होगा। केसी त्यागी ने कहा कि पुरानी बातों को भुला कर आपसी सामंजस्य मेलजोल का सिलसिला चलते रहना चाहिए।
आमतौर पर नीतीश कुमार से दूरी बनाए रखने वाले चिराग पासवान जब नीतीश कुमार की मौजूदगी में राजद की इफ्तार पार्टी में गए तभी से बिहार में सियासी हलचल शुरू हो गई थी। चिराग पासवा ने नीतीश कुमार के पैर भी छुए और आशीर्वाद लिया। केसी त्यागी के इस बयान ने उस हलचल को और तेज कर दिया है।
काफी समय से चिराग पासवान और सीएम नीतीश कुमार के बीच 36 का रिश्ता चल रहा था। लोजपा नेता पानी पी पी कर नीतीश कुमार को कोसते रहते थे। 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू को इतनी कम सीटें आने के लिए चिराग पासवान को पार्टी के नेता जिम्मेवार ठहरा रहे हैं। चिराग पासवान ने उन सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिया जहां जहां जदयू चुनाव लड़ रही थी। इसका असर चुनाव परिणाम पर दिखा। राम विलास पासवान के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में भी नीतीश कुमार नहीं गए। इसे देखते हुए कहा जा रहा था कि जेडीयू चिराग पासवान को कभी स्वीकार नहीं करेगी। ऐसे माहौल में केसी त्यागी का ऑफर और महत्वपूर्ण हो जाता है।