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आनंद मोहन की रिहाई पर बिहार के मुख्य सचिव अमीर सुबहानी ने रखा पक्ष, बोले- नियम के मुताबिक रिहाई हुई है

आनंद मोहन की रिहाई पर बिहार सरकार की ओर से सफाई दी गई है। मुख्य सचिव अमीर सुबहानी ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। इस दौरान उन्होंने कहा बिहार में नया जेल मैन्युअल 2012 में बनाया गया था, जो लोग आजीवन कारावास की सजा काट चुके हैं। उनको कब रिहा करना है। किस तरीके से रिहा करना है। किसी को भी विशेष छूट नहीं दी गई है।

रिहाई का प्रावधान है

उन्होंने कहा कि मैन्युअल के अनुसार जो लोग 14 साल की सजा काट चुके हैं। उनका अच्छा आचरण रहा है। उन्हें 14 साल की कारावास अवधि और 20 साल की परिहार अवधि पर छोड़ने का प्रावधान है। राज्य दण्डादेश परिहार परिषद कानूनी दृष्टिकोण से जिसमें जज भी सदस्य होते हैं। तभी रिहाई होती है। उन्होंने बताया कि 6 साल में 22 बैठक में 1 हजार 161 कैदियों को छोड़ने पर विचार किया गया है। अभी तक 698 कैदियों को छोड़ा गया है।

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किसी को विशेष छूट नहीं मिली है

कुछ और नियम है, जिसके अनुसार 26 जनवरी, 15 अगस्त और 2 अक्टूबर को भी कैदियों को छोड़ा जाता है। अन्य नियम के मुताबिक 104 कैदियों को छोड़ा गया है। एक बार और ऐसे कैदियों को छोड़ा जायेगा। इस बार भी जिन 27 कैदियों को छोड़ा गया है। उसमें किसी को विशेष छूट नही दी गई है। इस बार लोक सेवक को लेकर जो संशोधन किया गया है। केवल इसलिए, क्योंकि आम लोगों और लोक सेवक में सरकार ने कोई अंतर नहीं रखा है, इसलिए संशोधन किया गया।

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रिहाई को राजनीतिक तौर पर नहीं देखा जाए

कानून और कानून की प्रक्रिया लगातार संशोधन होनेवाली प्रक्रिया है। अगर कोई चीज बदली गई तो वह सरकार का अधिकार और कर्तव्य है। आनन्द मोहन की रिहाई के मामले को राजनीतिक तौर पर नहीं देखना चाहिए। पीड़ित परिवार से क्या इस बारे में राय ली गई है। इस सवाल पर मुख्य सचिव ने अनभिज्ञता जताई है। उन्होंने कहा कि प्रोविजन ऑफिसर स्थानीय लोगों से राय लेते हैं।

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