बिहार में भीषण गर्मी से सांप जैसी टेढ़ी-मेढ़ी हो गई रेल पटरी, बड़ा हादसा टला; 3 घंटे तक थमे ट्रेनों के पहिए
बिहार में एक बार फिर भीषण गर्मी से रेल की पटरी टेढ़ी हो गई है। गया जिले में गुरपा-गझण्डी घाटी रेलखंड पर स्थित नाथगंज रेलवे हॉल्ट के पास मंगलवार को अप लाइन में अधिक गर्मी के कारण 50 मीटर तक रेल पटरी पिघलकर काफी बुरी तरह से टेढ़ी हो गई। इसी समय वहां से हटिया-पटना सुपर एक्सप्रेस गुजरने वाली थी जिसे दिलवा स्टेशन पर ही रोक दिया गया। इस तरह रेलकर्मियों की सूझबूझ व तत्परता से एक बड़ी रेल हादसा होने से टल गया। पटरी टेढ़ी होने के चलते अप लाइन पर तीन घंटे तक ट्रेनों का परिचालन बाधित रहा।
रेल पटरी दुरुस्त होने के बाद ट्रेनों का परिचालन सुचारू हुआ। घटना स्थल के पास से डाउन लाइन की ट्रेनों को भी धीमी गति में परिचालन कराया गया। रेल सूत्रों ने बताया कि ड्यूटी पर तैनात रेलकर्मी रेल ट्रैक की जांच कर रहा था। वह जांच करते हुए नाथगंज रेलवे हॉल्ट के पास पहुंचा तो उसकी नजर टेढ़ी हुई रेल पटरी पर पड़ी। उसने तुरंत नाथगंज और दिलवा स्टेशन को इसकी सूचना दी।
उसी समय हटिया से पूर्णिया कोर्ट जा रही 18626 अप हटिया-पटना-पूर्णिया कोर्ट एक्सप्रेस ट्रेन वहां से गुजरने वाली थी, जिसे दिलवा स्टेशन पर ही रोक दिया गया और एक बड़ा रेल हादसा होने से बच गया।
तीन घंटे तक थमे ट्रेनों के पहिए
रेल पटरी टेढ़ी होने की सूचना पर रेलवे अधिकारी मौके पर पहुंचे और उसे ठीक करने में जुट गए। रेलकर्मियों ने भीषण गर्मी और तीखी धूप के बीच पटरी को दुरुस्त किया। इस काम में करीब तीन घंटे का समय लगा। तब तक इस ट्रैप पर ट्रेनों का परिचालन बाधित रहा। इस दौरान हटिया-पटना-पूर्णिया कोर् एक्सप्रेस के अलावा कई ट्रेनों के परिए थमे रहे।
घटना की सूचना पाकर आरपीएफ भी मौके पर पहुंची। आरपीएफ इंस्पेक्टर ने बताया कि इसमें कोई आपराधिक हस्तक्षेप नहीं है। तेज गर्मी के कारण लाइन टेढ़ी हुई है।
पिछले हफ्ते पहले भी टेढ़ी हुई थी पटरी
एक हफ्ते पहले ही दरभंगा-सीतामढ़ी रेलखंड पर टेकटार स्टेशन के पास भी भीषण गर्मी के चलते पटरी टेढ़ी हो गई थी। इसके बाद दरभंगा-रक्सौल पैसेंजर ट्रेन को रोक दिया गया। पटरी दुरुस्त करने के बाद ही ट्रेनों का परिचालन शुरू हुआ।
क्यों टेढ़ी होती है पटरी?
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक तेज गर्मी में तापमान बढ़ने से पटरियों में एक्सपेंशन होता है। इस कारण पटरी टेढ़ी हो जाती है, इससे रेल हादसे का खतरा पैदा हो जाता है। अगर पटरी के छोटे हिस्से में टेढ़ापन आए तो उसे काटकर हटा दिया जाता है। अगर बड़ा एक्सपेंशन होता है तो उसके पास में दूसरी पटरी लगाकर रूट बहाल किया जाता है।