जाति आधारित गणना मामले में आज पटना हाई कोर्ट में फिर होगी सुनवाई, 5 मई को राज्य सरकार ने दायर की थी याचिका
पटना हाई कोर्ट में जाति आधारित गणना के मामले में मंगलवार सुनवाई होगी। मालूम हो कि 5 मई को राज्य सरकार की ओर से जाति आधारित गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली लोकहित याचिकाओं की सुनवाई तीन जुलाई से पहले करने के लिए याचिका दायर की गई थी। यह याचिका सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से दायर की गई थी।
याचिका में कहा गया था कि चार मई को लोकहित याचिकाओं में उठाए गए सभी मुद्दों पर कोर्ट ने अपना निर्णय दे दिया है। ऐसे में न्यायनिर्णय के लिए कोई भी मुद्दा शेष नहीं रहता। इस कारण इन याचिकाओं की सुनवाई तीन जुलाई के पूर्व ही करके इनका निष्पादन कर दिया जाए।
मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ के समक्ष महाधिवक्ता पीके शाही ने मामले को गर्मी छुट्टियों से पहले सूचीबद्ध करने की गुहार की थी, जिसे मानते हुए कोर्ट ने मामले को इस सप्ताह सूचीबद्ध करने के लिए कहा था।
गौरतलब है कि चार मई को पटना हाई कोर्ट ने इस मामले की अगली तिथि तीन जुलाई को निर्धारित करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया था , जिसमे जाति आधारित गणना पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई थी।
मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन एवं न्यायाधीश मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने “यूथ फॉर इक्वालिटी” एवं अन्य द्वारा दायर लोकहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि पहले से एकत्रित किए गए डेटा को सुरक्षित कर अंतिम आदेश पारित होने तक इसे किसी के साथ साझा नहीं किया जाना चाहिए।
पटना हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि प्रथम दृष्टया राज्य सरकार के पास जाति आधारित गणना कराने का वैधानिक अधिकार नहीं है। कार्यपालिका के पास जातीय जनगणना कराने का क्षेत्राधिकार नहीं है। कोर्ट ने ये भी कहा कि जातीय जनगणना से जनता की निजता का उल्लंघन होता है।