बिहार के सभी प्राइवेट स्कूलों में 25% गरीब बच्चों का फ्री नामांकन, सरकार ऑनलाइन निगरानी करेगी
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अब पोर्टल के माध्यम से निजी स्कूलों में नि:शुल्क कोटे के नामांकन की निगरानी होगी। राज्य सरकार निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के नामांकन मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी सख्त निगरानी का फैसला किया है। इसके लिए शिक्षा विभाग ने पोर्टल विकसित किया है। इस पोर्टल के माध्यम से शिक्षा विभाग मुख्यालय से हर निजी स्कूल पर नजर रखेगा। इसके माध्यम से उनके दावों की हकीकत भी जानी जाएगी। किस स्कूल ने कितने बच्चों का नामांकन वास्तव में लिया है, इसकी सहज जानकारी पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध हो सकेगी।
दरअसल, शिक्षा का अधिकारी अधिनियम (आरटीई)-2009 के प्रावधान के तहत सभी निजी विद्यालयों में कुल सीट के 25 फीसदी पर गरीब बच्चों का नामांकन नि:शुल्क लेना है। इसके बदले सरकार इन स्कूलों को निश्चित राशि भी देती है। यह स्कूल में उस बच्चे पर खर्च होने वाली राशि के बराबर होती है।
कई स्कूल पैसे तो ले लेते हैं, लेकिन उस अनुपात में बच्चों का नामांकन नहीं लेते। लेकिन, इसकी पुख्ता मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही है। मौजूदा व्यवस्था में सरकार के लिए निजी स्कूलों के दावों की परख कठिन है। तमाम प्रयासों के बाद भी कई स्कूल नि:शुल्क नामांकन को लेकर गंभीर नहीं हैं। इससे गरीब बच्चों के नामांकन की इस महत्वपूर्ण योजना का कार्यान्वयन ढंग से नहीं हो पा रहा। इसीलिए सरकार इस वर्ष 2023-24 में इस व्यवस्था को अनिवार्य बनाना चाहती है।
शिक्षा विभाग ने सभी संबंधित अधिकारियों को यह संकत दे दिया है कि इसी साल से निजी स्कूलों की 25 फीसदी सीटें गरीब बच्चों के लिए आरक्षित रखने की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए पोर्टल का काम लगभग पूरा हो चुका है। पोर्टल के माध्यम से सरकार की इस योजना का कार्यान्वयन किया जाएगा, ताकि गरीब बच्चों को इस योजना का सीधा लाभ मिल सके। विभाग ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि इस योजना का क्रियान्वयन मौजूदा प्रावधान के तहत नहीं करने वाले स्कूलों पर कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी।
सरकार निजी स्कूलों में बच्चों के नि:शुल्क नामांकन को लेकर बेहद गंभीर है। निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के नामांकन की निगरानी के लिए हम पोर्टल तैयार कर रहे हैं। इसके माध्यम से हर स्कूल में आरटीई के तहत हुए नामांकन पर नजर रखी जाएगी। किस विद्यालय में कितने बच्चे हैं और उसमें कितने इस प्रावधान के तहत नामांकित हैं, इसकी मुख्यालय से मॉनिटरिंग होगी। इस व्यवस्था को इसी वर्ष से लागू करना चाहते हैं।
– दीपक कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग