Bihar

CM जब चाहेंगे अशोक महतो बाहर आ जाएंगे; पिंटू महतो ने कहा-नीतीश कुमार का फैसला तय करेगा…चुनाव में उनके लिए क्या निर्णय लेना है

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कुख्यात अपराधी और पिछले 17 साल से जेल में बंद अशोक महतो के रिहाई की मांग तेज हो गई है। राजनेता से लेकर कुर्मी महासंघ तक अशोक महतो को जेल से बाहर निकालने के लिए मुहिम चला रहे हैं। अशोक महतो के क्राइम पार्टनर और राइट हैंड रहे पिंटू महतो 13 साल तक जेल काटने के बाद बाहर आए तो एक दैनिक अखबार से बात करते हुए अशोक महतो की रिहाई, उनके जेल से बाहर आने के बाद सियासत की तैयारी और इन्हें गिरफ्तार करने वाले तत्कालीन शेखपुरा के IPS अमित लोढ़ा की लिखित किताब पर बनी वेब सीरीज खाकी द बिहार चैप्टर पर बात की।

क्या अशोक महतो को जेल से बाहर आना चाहिए?

सौ प्रतिशत उन्हें बाहर आना चाहिए। आनंद मोहन के साथ ही उन्हें भी बाहर आना चाहिए। आनंद मोहन तो 16 साल कस्टडी में थे। वो डीएम हत्याकांड में अंदर थे। अशोक महतो का तो 17 साल से ज्यादा का कस्टडी हुआ है। वो भी जेल ब्रेक की हत्या में। दोनों में आसमान-जमीन का फर्क है। इसके बाद भी हम ही लोग को अपराधी बनाया जाता है। हम मुख्यमंत्री से भी आग्रह करेंगे कि अशोक महतो को भी रिहा किया जाए।

अशोक महतो की रिहाई में कहां पेंच फंस रहा है ?

ये तो मुख्यमंत्री के हाथ में है। वो जब चाहें अशोक महतो बाहर आ जाएं। बोर्ड गठित करके जब तक सीएम आगे नहीं बढ़ते हैं, तब बात नहीं बनेगी। हमलोग मुख्यमंत्री और उनके नजदीकी आदमी तक हर जगह जाकर दरवाजा खटखटाए हैं।

कब तक निकलने की बात चल रही है ?

ये सब मुख्यमंत्री के हाथ में है। जिस तरह आनंद मोहन के मामले में कलम चलाए और रातो-रात निकल गए । उसी तरह इनके मामले में कलम चलेगा तो ये भी निकल जाएंगे।

अशोक महतो के जेल से बाहर आने से शेखपुरा की सियासत में किस तरह के बदलाव आएंगे?

क्षेत्र में किसी तरह का बदलाव नहीं आएगा। राजनीति के उद्देश्य से अगर सीएम की तरफ से डिसीजन लिया जाएगा तब निर्णय होगा। उनके आने के बाद किस तरह से पार्टी निर्णय लेती है, उस तरह से हम लोग निर्णय लेंगे।

आपने खाकी द बिहार चैप्टर देखा है? कितनी सच्चाई के आसपास के है वेब सीरीज

हमें एक प्रतिशत सच्चाई इस वेब सीरीज में दिखाई नहीं देती है। अमित लोढ़ा अपना नाम कमाने के लिए, पैसा कमाने के लिए ये सीरीज बनाए हैं। खाली अगड़ी-पिछड़ी करने के लिए उन्होंने ये फिल्म बनाई है।

सीरीज में जिस चंदन महतो को दिखाया गया है, वो कौन है?

ये तो अमित लोढ़ा ही बताएंगे कि चंदन महतो कौन है। मीडिया में पिंटू महतो को चंदन महतो बताया जा रहा है।

क्या पिंटू महतो चंदन महतो है? क्या उन घटनाओ को अंजाम दिया है?

नहीं ऐसी बात नहीं है। पूरा पात्र मनगढ़ंत है। घटना और पात्र सभी मनगढ़ंत है। शेखपुरा और नवादा में सर्वे कर के पता किया जा सकता है कि अशोक महतो किस तरह का काम किए हैं। ये शेखपुरा, वारसलीगंज , बरबीघा सभी को सबकुछ पता है।

क्या ससबहना अशोक महतो का गढ़ था?

जी नहीं। केवल ससबहना ही गढ़ नहीं था। साल 2000 का जो समय था उस समय हर बैकवर्ड गांव की पुकार थी। यहां मान-सम्मान की लड़ाई है। इज्जत बचाओ । मान-सम्मान बचाओ। ये लड़ाई अशोक महतो ने लड़ी है। उन्हें बैकवर्ड का पूरा सहयोग मिला है।

वेब सीरीज में तो दिखाया गया है कि उन्होंने बैकवर्ड की भी हत्या की है

ये गलत दिखाया गया है। वे बस पैसा कमाने के लिए फिल्म बनाया गया हैं। सब मनगढ़ंत है। राजो बाबू की हत्या में रंधीर कुमार सोनी को अभियुक्त बनाया गया था। इनके अलावा भी कई लोगों को अभियुक्त बनाया गया था। बाद में रंधीर कुमार सोनी का नाम काट दिया गया। इसमें अशोक महतो और पिंटू महतो का नाम जोड़ दिया गया। अमित लोढ़ा शेखपुरा में क्राइम बढ़ाना चाहते थे ।

आपकी क्राइम की दुनिया में एंट्री कैसे हुई? क्या मजबूरी रही आपकी ?

हम बिजनेस मैन थे। हम एक दुकानदार थे। दल्लू मोड़ पर मेरा पटेल खाद भंडार था। एक दुकानदार से मेरी एंट्री क्राइम में हुई इसके बाद मुझे इतना बड़ा सरगना बनाया गया है। अपनी मजबूरी मेरे से नहीं यहां के जनता से पूछिए। 2000 में क्या मजबूरी थी। उस समय का बिहार क्या मांग रहा था। ये सब दिख रहा है। अगड़ी-पिछड़ी जाति के बुजुर्ग से पूछिए। सब बता देंगे।

क्या पिंटू महतो चुनाव लड़ेंगे? कहां से लड़ेंगे?

हां। हम विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। पिछली बार भी चुनाव लड़े थे। निर्दलीय चुनाव लड़कर 8 हजार वोट प्राप्त किए थे। इस बार तैयारी है कि पार्टी से मैदान में आएं। टिकट मिलेगी तो जेडीयू से लड़ेंगे, नहीं तो और भी पार्टी से बात चल रही है। शेखपुरा विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे।

वारसलीगंज से प्रदीप महतो के लिए ही रखेंगे या आप भी विचार करेंगे?

ये अशोक महतो तय करेंगे कि कौन कहां से चुनाव लड़ेंगे। वे किसको नेता मानते हैं। ये वही तय करेंगे। हम लोगों के गार्जियन अशोक महतो ही हैं।

अशोक महतो का पिंटू महतो से क्या रिश्ता है? इसको लेकर बहुत उलझन है।

हकीकत में अशोक महतो मेरे मौसा लगते हैं। वो मेरे मौसा के भाई हैं। इसके अलावा अन्य जो रिश्ता है, सब अफवाह है। मेरा गांव शेखपुरा के कसार पंचायत का महाउत है। अशोक महतो का गांव नवादा जिला के वारसलीगंज का बढ़ौना है।

Content : Danik Bhaskar

Avinash Roy

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