फर्जी डिग्री पर शिक्षक बनने वालों पर आएगी आफत, सूची बनाने में जुटा विभाग, जानें क्या मिलेगी सजा
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बिहार में लगभग सभी जिलों में फर्जी प्रमाण पत्र पर शिक्षक की नौकरी लेने वालों लोगों की पहचान की जा रही है. इसके लिए विभाग के द्वारा बृहद स्तर पर कार्रवाई की जा रही है. नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्र की जांच निगरानी के द्वारा करवायी जा रही है. ऐसे में अब समस्तीपुर में 91 फर्जी शिक्षकों के खिलाफ निगरानी विभाग ने अब तक विभिन्न थानों में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है.
हालांकि कुछ नियोजन इकाइयों ने इन शिक्षकों को बर्खास्त नहीं किया है. डीपीओ ने नियोजन इकाई के सचिव एवं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को दिये पत्र में स्पष्ट कहा था कि पत्र प्राप्ति के साथ ही उक्त शिक्षकों के खिलाफ निरोधात्मक कार्रवाई करते हुए विद्यालय जाने एवं विद्यालय में उपस्थिति दर्ज करने पर रोक लगाएं.
फर्जी शिक्षकों को लौटना होगा वेतन
वेतन विपत्र की सूची से इनका नाम हटाते हुए कार्रवाई करें. फर्जी प्रमाण पत्र वाले शिक्षक-शिक्षिकाओं की सेवा समाप्त करने व पब्लिक डिमांड रिकवरी एक्ट में राशि वसूली की माॅनीटरिंग कार्य के लिए डीपीओ स्थापना नोडल पदाधिकारी होते हैं. फर्जी प्रमाण पत्र पाये जाने पर पब्लिक डिमांड रिकवरी एक्ट के अंतर्गत उनसे अब तक ली गई वेतन की राशि की वसूली उनसे की जायेगी. हालांकि राशि वसूली में विभाग की स्थिति अच्छी नहीं है.
3545 शिक्षकों का फोल्डर नहीं मिला
विभाग ने ऐसे फर्जी शिक्षकों की सूची तलब कर राशि वसूलने की तैयारी कर रहा है. इससे इतर जिला नियोजित शिक्षकों की बहाली में जो फर्जीवाड़ा हुआ है, वह गुत्थी अभी तक निगरानी विभाग नहीं सुलझा सका है. जानकारी के मुताबिक 11,454 नियोजित शिक्षकों के शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र की जांच होनी है. अब तक करीब 3545 शिक्षकों का फोल्डर नहीं मिल पाया है. ऐसे में फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई करने में निगरानी विभाग के पसीने छूट रहे हैं.
प्रमाण पत्रों की प्रति 25 तक निगरानी को देने का निर्देश
शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) को पंचायतीराज संस्थान एवं नगर निकाय संस्थान अंतर्गत 2006 से 2015 की अवधि में नियुक्त शिक्षकों के शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्रों की अभिप्रमाणित प्रति 25 मई तक निगरानी विभाग को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.
गौरतलब है कि जिले में भी विभिन्न नियोजन इकाइयों से जुड़े तकरीबन तीन हजार से अधिक फोल्डर उपलब्ध नहीं हो सका था. विभाग के द्वारा भेजे गए निर्देश में पटना हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में पारित आदेश का हवाला देते हुए विभाग ने कहा है कि नियोजित शिक्षकों के शैक्षणिक- प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र की जांच निगरानी विभाग के द्वारा करायी जा रही है.
इस क्रम में विभाग द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि ऐसे शिक्षक जिनसे संबंधित फोल्डर वेब पोर्टल पर अपलोडेड हैं, उनके प्रमाण पत्रों को जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) डाउन लोड कर अभिप्रमाणित करते हुए जिला के निगरानी विभाग के नामित पदाधिकारी को जांच के लिए एक सप्ताह के अंदर उपलब्ध कराएं.