“कर्नाटक के बाद बिहार से डर”: राबड़ी देवी से ED की पूछताछ पर बोले तेजस्वी यादव
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को कहा कि उनकी मां राबड़ी देवी से प्रवर्तन निदेशालय द्वारा ‘नौकरी के बदले जमीन’ मामले में पूछताछ देश में राजनीतिक बदलाव, खासकर राज्य में अगले साल होने वाले चुनाव और पिछले सप्ताह कर्नाटक में भाजपा की हार से जुड़ी है. उन्होंने कहा, “हम जानते थे कि ऐसा होगा. वे हमें निशाना बना रहे हैं, क्योंकि वे कर्नाटक के बाद बिहार से डरते हैं. वे मुझे भी भविष्य में कई मामले में फंसा सकते हैं. लेकिन मुझे इसकी परवाह नहीं है. मैंने कुछ गलत नहीं किया है, इसलिए मुझे डरने की जरूरत नहीं है.
बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से केंद्रीय एजेंसी द्वारा दिल्ली में लगभग पांच घंटे तक पूछताछ की गई, जो कथित ‘नौकरी के बदले जमीन’ घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में वित्तीय अपराधों की जांच कर रही है. समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि एजेंसी के सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू यादव की पत्नी 68 वर्षीय राबड़ी देवी का बयान धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज किया गया था.
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, बेटियों मीसा भारती (राज्यसभा में राजद सांसद), चंदा यादव और रागिनी यादव सहित राबड़ी देवी के बच्चों से भी एजेंसी ने पिछले कुछ महीनों में इस मामले में पूछताछ की है. एजेंसी ने दावा किया था कि उसने इस साल मार्च में मामले में तलाशी के दौरान 1 करोड़ रुपये की “बेहिसाब नकदी” जब्त की थी. कथित घोटाला 2000 के दशक की शुरुआत में रेल मंत्री के रूप में लालू यादव के कार्यकाल से संबंधित है, और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक प्राथमिकी से उपजा है.
एजेंसियों का आरोप है कि 2004 से 2009 के बीच कई लोगों को भारतीय रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में कनिष्ठ पदों पर नियुक्त किया गया और बदले में उन्होंने अपनी जमीन, यादव परिवार के सदस्यों को हस्तांतरित कर दी. सीबीआई ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया था, लेकिन पटना के कुछ निवासियों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में स्थित विभिन्न जोनल रेलवे में नियुक्त किया गया था.
इसके एवज में, उम्मीदवारों ने, सीधे या अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से, यादव के परिवार के सदस्यों को कथित रूप से अत्यधिक रियायती दरों पर जमीनें बेचीं.