समस्तीपुर Town

नजर हर खबर पर…

BiharNEWS

कभी बिहारियों को गोबर का कीड़ा कहा…अब आना पड़ा बिहार: बाल ठाकरे ने लिखा था ‘एक बिहारी सौ बीमारी’; 15 साल बाद बेटे-पोते आए

IMG 20221030 WA0004

व्हाट्सएप पर हमसे जुड़े 

बात साल 2008 की है। तब शिवसेना का कोई बंटवारा नहीं हुआ था। उस वक्त शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे जिंदा थे। उन्होंने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए बिहार के लोगों के खिलाफ जहर उगला था। ‘सामना’ के संपादकीय लेख में बाल ठाकरे ने बिहारियों को ‘गोबर का कीड़ा’ कहा था।

उन्होंने बिहारियों के लिए एक संज्ञा दी थी। अपने पत्र में लिखा था कि ‘एक बिहारी सौ बीमारी’। साथ ही आरोप लगाया था कि बिहार में भ्रष्टाचार की गंगा बहती है। इसी वजह से ही गंगा मैली हो गई है। वहां गरीबी, भूख, बेरोजगारी और जातिवाद के साथ अराजक स्थिति है।

भले ही ये बातें पुरानी हो गई हैं। पर समय-समय पर बाहर आ ही जाती हैं। आज इन बातों की चर्चा करने की एक बड़ी वजह है ‘राजनीति’। शुक्रवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पटना में हैं। वो विपक्षी दलों की एकता को लेकर होने जा रही मीटिंग में शामिल होने आए हैं। साथ में उनके बेटे आदित्य ठाकरे और सांसद संजय राउत भी हैं।

IMG 20230604 105636 460

IMG 20230522 WA0020

उद्धव ठाकरे पहली बार बिहार आए हैं। उन्हें या उनकी पार्टी को अब उत्तर भारतीयों या बिहारियों से कोई परेशानी नहीं है। वो अब सबके साथ मिलकर चलना चाहते हैं। इसी की कवायद में हैं क्योंकि, महाराष्ट्र में उनकी खुद की पार्टी, जिसे उनके पिता बाल ठाकरे ने स्थापित किया था। उसका बंटवारा हो चुका है। इसकी वजह भाजपा है।

भाजपा अब राजनीतिक दुश्मन…विपक्ष में ही ‘एकता’

उद्धव ठाकरे भाजपा को अब अपना राजनीतिक दुश्मन मानते हैं। यही कारण है कि वो देश के तमाम विपक्षी दलों की एकता में शामिल हो गए हैं। शिव सेना के बिहार प्रभारी कौशलेंद्र के अनुसार उनकी पार्टी या राष्ट्रीय अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को कभी भी उत्तर भारतीयों या बिहारियों से दिक्कत नहीं थी। अगर ऐसा होता तो संजय निरुपम और प्रियंका चतुर्वेदी को सांसद नहीं बनाते। परेशानी उनके चचेरे भाई राज ठाकरे को थी। जो काफी पहले अलग हो चुके हैं। उन्होंने खुद की महाराष्ट्र नव निर्माण सेना नाम की पार्टी बना रखी है।

IMG 20230324 WA0187 01

बिहारियों को साथ लेने की क्या रही वजह?

दरअसल, केंद्र की सत्ता पर NDA में शामिल घटक दलों के साथ भाजपा काबिज है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए देश के तमाम विपक्षी दल अपनी एकजुटता दिखाने में लगे हैं। विपक्षी एकता की ताकत को दिखाने के लिए बड़े स्तर पर मीटिंग हो रही है।

पार्टी के बंटवारे के बाद उद्धव ठाकरे अपने गुट के प्रमुख हैं। ऐसा लग रहा है कि शिव सेना के बंटवारे के बाद उद्धव ठाकरे का उत्तर भारतीयों और बिहारियों के प्रति नजरिया ही बदल गया है। क्योंकि, कुछ महीने पहले ही मुंबई में हुए महानगर पालिका चुनाव में उत्तर भारतीयों व बिहारियों के साथ नए सिरे से कनेक्शन जोड़ने की कवायद हुई थी।

IMG 20230606 WA0083

MNC चुनाव से पहले पटना आए थे आदित्य

पिछले साल नवंबर महीने में उद्धव ठाकरे के बेटे व महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे भी पटना आए थे। वो वक्त मुंबई महानगरपालिका चुनाव से ठीक पहले का था। तब आदित्य ठाकरे पटना आने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मिले थे।

उस वक्त कहा गया था कि ये एक शिष्टाचार मुलाकात थी। मगर, उस मुलाकात के कई मायने थे। राजनीति की पुरानी बातों को दरकिनार कर तेजस्वी और आदित्य ने अपने कदम आगे बढ़ाए थे। एक-दूसरे की काफी तारीफ की थी। साथ ही कहा था कि आपस में बातचीत होती रही तो देश के लिए कुछ अच्छा कर सकेंगे।

Sanjivani Hospital New Flex 2023 Bittu G

IMG 20230416 WA0006 01

IMG 20230620 WA0060

20201015 075150