नीतीश कैबिनेट में SC-ST कल्याण मंत्री और जीतन राम मांझी के बेटे डॉ. संतोष सुमन ने खुद से इस्तीफा नहीं दिया था। उनसे CM नीतीश कुमार ने इस्तीफा लिया था। इस बात की पुष्टि तब हो गई, जब नीतीश कुमार ने आज खुद कहा कि विपक्षी एकता की बैठक में वे रहते तो मुखबिरी करते। यहां की रणनीति बीजेपी को जाकर बता देते। इधर, जीतन राम मांझी ने एनडीए की तरफ अपने कदम बढ़ा दिए हैं। बेटे संतोष सुमन ने कहा कि मोदी जैसा कोई नहीं। विपक्षी एकता पर भी तंज कसा।
दरअसल, हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी के बयान लगातार महागठबंधन के खिलाफ आ रहे थे। यह बात महागठबंधन के नेताओं को रास नहीं आ रही थी कि मांझी विपक्षी एकता की बैठक से पहले सीट बंटवारे की बात क्यों कर रहे हैं? महागठबंधन के नेताओं को यह बात भी नहीं पच रही थी कि मांझी अपने इलाके के विकास के लिए भाजपा नेता और गृह मंत्री अमित शाह से क्यों मिलने गए थे?
जीतन राम मांझी पर जदयू ने पैनी निगाह रखी थी। पता यह लगाया गया कि आखिर वह किसके इशारे पर यह सब कर रहे हैं। जब पता चला कि मांझी बड़े गेम में शामिल हैं तो जदयू के नीचे से जमीन खिसक गई। इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संतोष सुमन मांझी का इस्तीफा लेना बेहतर समझा।
जदयू के आधिकारिक सूत्रों से जानकारी मिली है कि मांझी के 5 सीटों की मांग से महागठबंधन असमंजस में था। ऐसे में विपक्षी एकता की बैठक से पहले जीतन राम मांझी के यह बोल महागठबंधन के नेताओं को ज्यादा रास नहीं आ रहे थे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों विपक्षी एकता को साधने में लगे हैं। 17-18 पार्टियों को एक मंच पर लाकर राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के सामने चुनौती खड़ा करना चाहते हैं। ऐसे में मांझी का यह बयान नीतीश कुमार को रास नहीं आया। उन्होंने आपत्ति जताई और कहा कि वह अपनी पार्टी का विलय जदयू में कर दें। इसके लिए मांझी राजी नहीं हुए।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दूसरी बात तब पता चली, जब मांझी पर जदयू ने पैनी नजर रखना शुरू किया। इस दौरान पता चला कि महागठबंधन और विपक्षी एकता की होने वाली हर खबर भाजपा आलाकमान के पास जा रही है। महागठबंधन की हर गुप्त बैठक की खबर भाजपा नेताओं को लग जाती थी। अंदर क्या कुछ होता था, वह बाहर पता चल जाता था।
मुख्यमंत्री जब भी मीटिंग करते थे, तमाम नेताओं मोबाइल बाहर रखने का निर्देश दे दिया जाता था। कोई भी गजट सीएम हाउस ले जाने की मनाही होती थी। इसके बावजूद भी बात भाजपा तक पहुंच जाती थी। जदयू की जांच में पता चला कि ‘हम’ की तरफ से यह बातें लीक की जा रही हैं।
नीतीश कुमार को तीसरा झटका तब लगा, जब उन्हें पता चला कि मंत्री संतोष सुमन 23 जून को ही इस्तीफा देने वाले हैं। उस दिन ही पटना में विपक्षी एकता की बैठक होने वाली थी। बैठक के पूरे स्वरूप को खराब करने और उसके मैसेज को लोगों तक न पहुंचने देने के लिए यह बड़ा दांव जीतन राम मांझी ने खेलना चाहा था।
23 तारीख को संतोष मांझी इस्तीफा देते तो विपक्षी एकता की खबरें दब जाती। ऐसे में नीतीश कुमार ने विजय चौधरी को निर्देश दिया कि वह संतोष सुमन से इस्तीफा ले लें। इसके बाद ही विजय चौधरी ने संतोष सुमन को अपने आवास पर बुलाकर उनसे इस्तीफा ले लिया।
हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी अपने पुत्र पूर्व मंत्री डॉ. संतोष सुमन के साथ 19 जून को दिल्ली जाने वाले हैं। वहां भाजपा के टॉप लीडरशिप से मुलाकात करेंगे। पटना में संतोष सुमन ने यहां तक कह दिया है कि PM मोदी जैसा कोई नहीं है। 23 जून को विपक्षी पार्टियां लॉटरी से पीएम पद का उम्मीदवार खोजेंगी।
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